Floating Solar System Haryana: महेंद्रगढ़: हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि) के डॉ. मुनीष मानस और उनकी टीम ने सौर ऊर्जा उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए फ्लोटिंग सोलर सिस्टम विकसित किया है। यह सोलर सिस्टम तरल सतहों जैसे जलाशयों और झीलों पर स्थापित किया जा सकता है। इसके जरिए लागत कम होगी, दक्षता अधिक होगी और पर्यावरण को भी लाभ पहुंचेगा। डॉ. मुनीष मानस और उनकी टीम को इस खोज का पेटेंट भी प्राप्त हो चुका है। कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने इसे हरित भविष्य की ओर कदम बताया।
पाली गांव में पायलट प्रोजेक्ट
डॉ. मानस ने पाली गांव के जलाशय पर 723 किलोवॉट क्षमता वाले सोलर प्लांट का प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस प्लांट से लगभग 30 वर्षों तक सौर ऊर्जा प्राप्त की जा सकेगी।
प्रस्तावित प्लांट का आकार:
6,000 वर्ग मीटर के जलाशय पर 3,500 वर्ग मीटर का फोटोवोल्टिक प्लांट। इस प्रोजेक्ट के लिए अनुदान के प्रयास किए जा रहे हैं।
खासियत: जंग से बचाने का प्रावधान
डॉ. मुनीष मानस ने बताया कि जलाशय पर लगने वाले सोलर पैनल्स को जंग से बचाने के लिए विशेष कोटिंग का इस्तेमाल किया गया है। जल सतह पर पैनल्स की दक्षता अधिक होती है, क्योंकि पानी उन्हें ठंडा बनाए रखता है। यह प्रणाली भूमि पर लगने वाले पारंपरिक सोलर प्लांट की तुलना में अधिक प्रभावी और टिकाऊ है।
Floating Solar System Benifits: फ्लोटिंग सोलर सिस्टम के फायदे
1. भूमि की बचत: जमीन का उपयोग नहीं होता।
2. पानी की बचत: भाप बनकर उड़ने वाले पानी की मात्रा घटती है।
3. उच्च उत्पादन: जलाशय की सतह पर अधिक ऊर्जा उत्पादन।
4. रखरखाव पर कम खर्च: पानी पैनल्स को ठंडा रखता है, जिससे उनकी लंबी उम्र होती है।
5. शैवाल की समस्या कम: जलाशयों में शैवाल बनने की समस्या में कमी।
हकेंवि के वैज्ञानिक डॉ. मुनीष मानस का यह फ्लोटिंग सोलर सिस्टम पर्यावरण संरक्षण और सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर पाली गांव का पायलट प्रोजेक्ट सफल होता है, तो इसे अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है। यह खोज सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हरियाणा और देश को एक नई पहचान दे सकती है।