Jind Farmers News : जींद : हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में जींद जिला प्रदेश में सबसे आगे है। जिले में अब तक पराली जलाने के 201 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 160 जगहों पर पराली के अवशेष जलाए गए। प्रशासन ने इन मामलों पर सख्त कार्रवाई करते हुए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही 215 किसानों को रेड एंट्री में डाल दिया गया है।
रेड एंट्री का असर
रेड एंट्री लिस्ट में शामिल किसानों को दो साल तक अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
क्षेत्रवार आंकड़े
कृषि विभाग के अनुसार जींद के विभिन्न क्षेत्रों में पराली जलाने के मामले इस प्रकार हैं:
नरवाना: 86 मामले
उचाना: 20 मामले
अलेवा: 16 मामले
सफीदों: 24 मामले
जींद: 24 मामले
जुलाना: 18 मामले
नरवाना में सबसे अधिक मामले
आंकड़ों के अनुसार जींद जिले में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले नरवाना क्षेत्र से सामने आए हैं। इस क्षेत्र में प्रशासन की विशेष निगरानी और जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई जा रही है।
पिछले साल से गिरावट
पिछले वर्ष जिले में पराली जलाने के 335 मामले दर्ज किए गए थे। इस साल की तुलना में यह संख्या कम होकर 201 रह गई है।
प्रशासन की सख्ती
प्रशासन ने पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जुर्माने और FIR का प्रावधान किया है। इसके अलावा, किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी?
कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान होता है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे पराली जलाने के बजाय वैकल्पिक प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करें।
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किसानों की मांग
किसानों ने कहा कि पराली जलाने से रोकने से पहले सरकार को उनके लिए वैकल्पिक उपाय मुहैया करवाने चाहिए। किसानों पर सरकार द्वारा की जा रही FIR सरासर गलत है। रेड एंट्री वाले किसानों को MSP पर फसल ना बेचने देना भी सरकार का भेदभावपूर्ण रवैया है। किसानों के अनुसार सरकार की सख्ती तभी प्रभावी मानी जा सकती है जब किसानों के पास पराली के निपटारे के लिए पर्याप्त और उचित विकल्प उपलब्ध हों ।