Jammu-Kashmir : जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अब सरकारी कामकाज और संचार में WhatsApp और Gmail जैसे थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह निर्देश सोमवार को जारी किया गया, जिसमें खासतौर पर संवेदनशील, गुप्त और गोपनीय जानकारी के सुरक्षित आदान-प्रदान पर जोर दिया गया है।
क्या हैं निर्देश?
सरकार द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार, अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच वर्गीकृत जानकारी साझा करने के लिए Whatsapp और Gmail का बढ़ता उपयोग देखा गया है। प्रशासन ने इसे डेटा चोरी, अनधिकृत पहुंच और गोपनीय जानकारी के लीक का खतरा बताया है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये प्लेटफॉर्म सुरक्षा के उन मानकों को पूरा नहीं करते, जो आधिकारिक और संवेदनशील सूचनाओं की सुरक्षा के लिए जरूरी हैं।
क्यों लिया गया Ban का फैसला?
शनिवार को सामान्य प्रशासन विभाग ने कहा कि Whatsapp और Gmail जैसे प्लेटफॉर्म वर्गीकृत डेटा प्रबंधन के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं। इनका इस्तेमाल सरकारी सूचनाओं की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। डेटा उल्लंघन और लीक के जोखिम को रोकने के लिए यह कदम आवश्यक है।
अब क्या हैं विकल्प?
सरकार ने सीडैक का संवाद और NIC का संदेश जैसे सरकारी इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के उपयोग की सिफारिश की है। इसके अलावा, ई-ऑफिस प्रणाली के माध्यम से सभी विभागों को उचित फायरवॉल और व्हाइट-लिस्टेड IP ADDRESS का उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या कहा गया निर्देश में?
गोपनीय और प्रतिबंधित जानकारी साझा करने के लिए सरकारी ईमेल सेवा का उपयोग करें। Whatsapp और Gmail जैसे उपकरण अब आधिकारिक कामकाज के लिए प्रतिबंधित रहेंगे।
क्या है उद्देश्य?
इस कदम का मुख्य उद्देश्य:
1. डेटा चोरी रोकना।
2. संवेदनशील जानकारी के लीक होने से बचाव।
3. सरकारी तंत्र में सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करना।
सरकारी तंत्र पर प्रभाव
इस फैसले से सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकारी प्लेटफॉर्म का अनिवार्य रूप से उपयोग करना होगा। यह न केवल संचार को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि संवेदनशील सूचनाओं की गोपनीयता सुनिश्चित करेगा।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन का यह कदम डिजिटल सुरक्षा के प्रति एक मजबूत पहल है।