Subsidy: पानीपत: देश में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों से अधिक सब्सिडी पर खर्च हो रहा है। अब केंद्र और राज्य सरकारें सब्सिडी व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने जा रही हैं। बिजली, पानी, गैस सिलेंडर, बस किराया और अन्य सेवाओं पर मिलने वाली सब्सिडी अब लाभार्थियों के बैंक खातों में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए भेजी जाएगी।
इस बदलाव का उद्देश्य अपात्र लाभार्थियों को छांटना, सरकारी खर्च में बचत करना और सब्सिडी को अधिक उपयोगी बनाना है। कैबिनेट सचिवालय के मुताबिक, डीबीटी से अब तक 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है।
क्या है नया सब्सिडी मॉडल?
डायरेक्ट कैश ट्रांसफर: सरकार अब बिजली के 200 यूनिट माफ करने या अन्य सेवाएं मुफ्त देने के बजाय उसके बराबर की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में भेजेगी।
फर्जी लाभार्थियों पर रोक: इस मॉडल से डुप्लीकेट और अपात्र लाभार्थियों की छंटनी की जाएगी।
आर्थिक व्यवस्था में सुधार: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का मानना है कि जब सब्सिडी की राशि सीधे खातों में जाती है, तो वह बाजार में खर्च होती है। इससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
सब्सिडी का मौजूदा हाल
वित्त मंत्रालय के अनुसार, कई राज्य अपनी सब्सिडी का बड़ा हिस्सा बिजली पर खर्च करते हैं। उदाहरण के तौर पर, राजस्थान में 97% सब्सिडी बिजली पर दी जाती है। इसके चलते अन्य बुनियादी क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क निर्माण पर खर्च सीमित हो जाता है।
छत्तीसगढ़ में बिजली पर सब्सिडी का हिस्सा सबसे कम है, जो कुल सब्सिडी का 34% है।
15 स्कीमों पर असर पड़ेगा
सरकार सब्सिडी से जुड़ी 15 प्रमुख योजनाओं को नए मॉडल के दायरे में ला रही है। इनमें बिजली, पानी, बस किराया, एलपीजी सिलेंडर, फसल बीमा, लैपटॉप, स्कूटी, टैबलेट आदि शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर, अब लैपटॉप या स्कूटी खरीदकर बांटने के बजाय सरकार लाभार्थियों के खाते में पैसा ट्रांसफर करेगी।
नॉन-मेरेट सब्सिडी पर फोकस
सब्सिडी को मेरिट और नॉन-मेरेट श्रेणियों में बांटा गया है।
मेरिट सब्सिडी: शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों से जुड़ी होती है।
नॉन-मेरेट सब्सिडी: बिजली, पानी, ट्रांसपोर्ट जैसी सेवाओं पर मिलती है।
नए मॉडल से उम्मीदें
सरकार का मानना है कि डीबीटी के जरिए सब्सिडी का प्रभाव बढ़ेगा। इससे फर्जी लाभार्थियों पर रोक लगेगी, बाजार में आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा और राज्यों का कर्ज बोझ कम होगा। इसके साथ ही, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अधिक फंड उपलब्ध हो सकेगा।