Sheetal Shri : जींद के नरवाना शहर में पुरानी अनाज मंडी में साधु-साध्वी व दीक्षा सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें देशभर के लोगों ने भाग लिया। इससे पहले जैन स्थानक में 26 महामुनिराज व 25 साध्वी ने अपने प्रवचनों के माध्यम से लोगों को रसाभोर किया था। वहीं दिल्ली की 20 वर्षीय युवती अंहिसा जोकि पिछले दो साल से वैराग्य जीवन जी रही थी। उसको दीक्षा दिलाने के लिए पूरी तैयारियां की गई थी। दीक्षा दिलाने से पहले शादी की रस्में निभाई गई।
जैन समाज की महिलाओं ने मंगल गीत, मेहंदी लगाने की रस्में की। जैन स्थानक में पाणी ग्रहण समारोह आयोजित किए जा रहे थे। दीक्षा लेने जा रही शीतल के माता-पिता, भाई-बहन भी पहुंचे। दीक्षा समारोह से पहले जैन स्थानक से शोभा यात्रा बैंड-बाजा के साथ शुरू की गई थी, जोकि आर्य उपनगर, भगत सिंह चौक, अपोलो चौक, रेलवे रोड, खादी चौक होते हुए पुरानी अनाज मंडी में आयोजित समारोह में प्रवेश की थी।
साधु-साध्वी सम्मेलन में सांसद कुमारी सैलजा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण बेदी के पुत्र कर्णप्रताप बेदी भी पहुंचे थे। जिन्होंन साधु-साध्वी से आशीर्वाद लिया। तत्पश्चात दीक्षा समारोह का आयोजन शुरू हुआ। जिसमें दीक्षा लेने से पूर्व शीतल श्री ने अपने भाइयों वैरागी व धन्मय को आखिरी बार राखी बांधी। वहीं शीतल श्री के भाई ने अपनी बहन को तोहफा में टाफी दी।
शीतल श्री की मां मीनू देवी अपनी लाड-प्यार से पाली बेटी को साध्वी का जीवन व्यतीत करने को लेकर भावुक हो गई और उसके गले लगकर रो पड़ी। जिसको देखकर लोग भी भावुक हो गए। दीक्षार्थिनी शीतल श्री ने पंडाल में मौजूद लोगों को वैराग्य भाषण सुनाया। जिसको लोगों ने बड़ी तन्मयता से सुना। इसके बाद संघ संचालक नरेश चंद व अन्य मुनि महाराज ने चातुर्मास फरमाए। जिसको लोगों ने अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया।
शोभायात्रा में उमड़ पड़ा पूरा शहर
दीक्षार्थी शीतल श्री को दीक्षा दिलाने से पूर्व पूरे शहर में शोभा यात्रा निकाली गई थी। जिसको देखने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा था। हर कोई यह देखने के लिए लालायित था। उनको विंटेज कार में शोभायात्रा निकाली। जैन समाज के लोगों का कहना था कि नरवाना क्षेत्र की तीन युवतियों ने 38 साल पहले दीक्षा ली थी, लेकिन वो उनको याद नहीं था। अब दिल्ली की शीतल श्री द्वारा दीक्षा लेने पर वो यह कार्यक्रम देखने के लिए उत्सुक थे। उन्होंने कहा कि वैराग्य जीवन जीना हर किसी के बस की बात नहीं है। इसमें तपस्या करनी पड़ती है, ध्यान लगाना पड़ता है। यही नहीं सांसारिक जीवन की हर खुशियां त्यागनी पड़ती है।
शहर की सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं ने किया पूरा सहयोग
जैन समाज द्वारा साधु-साध्वी व दीक्षा समारोह में शहर की सभी सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं ने अपना पूरा योगदान दिया। जिस व्यक्ति की जहां ड्यूटी लगाई, उसको बखूबी से निभाया गया। प्रशासन द्वारा भी पूरा प्रबंध किया गया था। एंबुलेंस, फायर बिग्रेड से लेकर पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों को जगह-जगह तैनात किया गया था। सभी संस्थाओं के सहयोग से सम्मेलन शांतिप्रिय सम्पन्न हो सका। जैन समाज के लोगों ने सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं का धन्यवाद किया।