Jind Rani Talab : गंगा घाट पर होने वाली महा आरती की तर्ज पर रानी तालाब पर हुई दिव्य महा-आरती

Parvesh Malik
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Jind Rani Talab : रानी तालाब स्थित प्राचीन भूतेश्वर मंदिर में सोमवार देर शाम को गंगा घाट पर होने वाली महा आरती की तर्ज पर दिव्य महा-आरती का आयोजन किया। दिव्य महा-आरती जगतगुरु त्रिपुरा पीठाधीश्वर चक्रवर्ती यज्ञ सम्राट पूज्य श्रीश्री 1008 हरिओम महाराज की उपस्थिति में निकाली गई। श्रीश्री 1008 हरिओम महाराज की तरफ से हरियाणा में जागृति यात्रा निकाली जा रही हैं। सोमवार देर शाम को हरिओम महाराज की यात्रा जींद पहुंची। जहां पर रानी तालाब पर उसका स्वागत किया गया ओर दिव्य महा-आरती का आयोजन किया।

हरिओम महाराज ने कहा कि कुरुक्षेत्र के केशव (थीम) पार्क में 18 से 27 मार्च तक नौ दिवसीय 1008 कुण्डीय शिव-शक्ति महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। जनकल्याण के लिए किए जा रहे इस पुण्यदायी आयोजन के लिए जींद वासियों को निमंत्रण देने के लिए दिव्या महा आरती की गई हैं। यज्ञ सम्राट हरिओम महाराज ने कहा कि प्राचीन काल से लेकर अब तक रुद्रयज्ञ, सूर्ययज्ञ, गणेशयज्ञ, लक्ष्मीयज्ञ, श्रीयज्ञ, लक्षचंडी भागवत यज्ञ, विष्णुयज्ञ, ग्रह-शांति यज्ञ, पुत्रेष्टि, शत्रुंजय, राजसूय, ज्योतिष्टोम, अश्वमेध, वर्षायज्ञ, सोमयज्ञ, गायत्री यज्ञ इत्यादि अनेक प्रकार के यज्ञ होते चले आ रहे हैं।

Divine Maha-Aarti held at Rani Talab on the lines of Maha Aarti at Ganga Ghat
Divine Maha-Aarti held at Rani Talab on the lines of Maha Aarti at Ganga Ghat

हमारा शास्त्र, इतिहास, यज्ञ के अनेक चमत्कारों से भरा पड़ा है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी सोलह-संस्कार यज्ञ से ही प्रारंभ होते हैं एवं यज्ञ में ही समाप्त हो जाते हैं। यज्ञ करने से व्यष्टि नहीं अपितु समष्टि का कल्याण होता है। अब इस बात को विज्ञानिक मानने लगे हैं कि यज्ञ करने से वायुमंडल व पर्यावरण में शुद्धता आती है। संक्रामक रोग नष्ट होते हैं तथा समय पर वर्षा होती है।यज्ञ करने से सहबन्धुत्व की सद्भावना के साथ विकास में शांति स्थापित होती है। यज्ञ को वेदों में कामधुन कहा गया है। यानी मनुष्य के समस्त अभावों व बाधाओं को दूर करने वाला।

यजुर्वेद में कहा गया है कि जो यज्ञ को त्यागता है उसे परमात्मा त्याग देता है। यज्ञ से साधारण मनुष्य देव-योनि प्राप्त करते हैं और स्वर्ग के अधिकारी बनते हैं। यज्ञ को सर्व कामना पूर्ण करने वाली कामधेनु और स्वर्ग की सीढ़ी कहा गया है। इतना ही नहीं यज्ञ के जरिए आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर प्राप्ति भी संभव है। इस अवसर पर जींद में महायज्ञ समिति के अध्यक्ष जगदीश तायल, डा. राजकुमार गोयल, सुरेंद्र मोर, श्रीचंद जैन, संदीप चहल, मनोज मोर, हरपाल सरोहा, वेदप्रकाश शास्त्री, कपिल गोयल मौजूद थे।

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