जल्दी ही पटरी पर दौड़ेगी जींद में हाइड्रोजन ट्रेन, चेन्नई में तैयार हो गया ‘नमो ग्रीन रेल’ का पहला रैक

Parvesh Malik
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Indian First Hydrogen Train Update : देश व प्रदेशवासियों को के लिए खुश खबरी है, अब जल्द ही भारत की पहली हाईड्रोजन ट्रेन हरियाणा के जींद-गोहाना-सोनीपत के ट्रेक पर दौड़ेगी। पाठकों को याद दिला दें कि, दो वर्ष पहले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्य सभा में हाइड्रोजन ट्रेन (Hydrogen Train) भारत में भी चलाने की घोषणा की थी। वहीं रेलवे ने देशी संसाधनों से अपना पहला हाइड्रोजन ट्रेन तैयार कर लिया है। इसे नमो ग्रीन रेल (Namo Green Rail) नाम दिया गया है।

दरअसल, रेलवे के चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री या आईसीएफ (ICF) से बीते हफ्ते यानी रविवार को रात में इसे फैक्ट्री के बगल में स्थित अन्नानगर यार्ड में भेज दिया गया है। अब रेलवे के रिसर्च आर्म आरडीएसओ (Research Development & Standard Organisation) की निगरानी में इसका ऑसिलेशन (Oscillation) या दोलन लेखी ट्रायल होगा।

कैसे बनाई गई है ट्रेन

इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक मीडियाकर्मी को बताया कि इस ट्रेन में कुल 10 डिब्बे हैं, जिनमें दो इंजन हैं। इंजनों की व्यवस्था आगे और पीछे की गई है। उन्होंने आगे बताया कि, आईसीएफ ने इस ट्रेन को 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने के लिए डिजाइन किया है। अब तो फील्ड ट्रायल में ही पता चलेगा कि ट्रेन किसी स्पीड पर खरी उतरती है।

 

Hydrogen train will soon run on the tracks in Jind, first rack of 'Namo Green Rail' is ready in Chennai
Hydrogen train will soon run on the tracks in Jind, first rack of ‘Namo Green Rail’ is ready in Chennai

डीजल इंजन को बदला हाइड्रोजन इंजन में

हाइड्रोजन ट्रेन के इस प्रोजेक्ट के लिए रेलवे ने अपने 1600 हार्सपावर के दो डीजल इंजनों को 1200 हार्सपावर के हाइड्रोजन इंजन में परिवर्तित किया है। यह काम आईसीएफ, चेन्नई में ही हुआ है। इन इंजनों में हाइड्रोजन फ्यूलिंग के लिए हरियाणा के जिंद में फ्यूलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है। वहां ही लगभग 3,000 किलो हाइड्रोजन के स्टोरेज की भी व्यवस्था है। इस ट्रेन में एक बार में लगभग 1200 यात्री यात्रा कर सकेंगे।

कैसे और कहां होगा ऑसीलेशन ट्रायल?

पाठकों को बता दें कि, चेन्नई के अन्नानगर यार्ड से नमो ग्रीन रेल को उत्तर रेलवे के पास भेजा जाएगा। वहां आरडीएसओ (RDSO) के सहयोग से इसका हरियाणा के जींद और सोनीपत के बीच ऑसीलेशन ट्रायल (Oscillation Trial) किया जाएगा। इस ट्रायल के दौरान ट्रेन में उतना ही वजन रख कर दौड़ाया जाएगा, जितने वजन के पैसेंजर्स उसमें चढ़ेंगे। वजन डालने के लिए प्लस्टिक के पीपे में मेटल पाउडर डाल कर 50-50 किलो का वजन बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि रेल ऑपरेशन में हाइड्रोजन को उपलब्ध फ्यूल में से सबसे स्वच्छ इंधन माना जाता है। इससे जीरो इमिशन होता है, जबकि जीवाश्म इंधन के बर्न होने से वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है जो कि वातावरण के लिए घातक है।

Hydrogen train will soon run on the tracks in Jind, first rack of 'Namo Green Rail' is ready in Chennai
Hydrogen train will soon run on the tracks in Jind, first rack of ‘Namo Green Rail’ is ready in Chennai

जानिए हाइड्रोजन ट्रेन की खासियत

इस ट्रेन में जो आगे और पीछे एक एक पावर कार बनाया गया है, उनमें 220 किलो हाइड्रोजन के स्टोर करने की क्षमता होगी। इन पावर कार में हाइड्रोजन सेल विशेष रूप से डिजाइन किए गए सिलेंडरों में 350 बार प्रेशर पर भरा जाएगा। आप जान लें कि इस ट्रेन में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के रिएक्शन से बिजली पैदा होती है। इसमें सिर्फ पानी (H₂O) और ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो इसे पर्यावरण के लिए बहुत ही साफ और प्रदूषण-मुक्त बनाती है।

दुनिया में इन देशों में चलती है हाइड्रोजन ट्रेन

दुनिया में पहली हाइड्रोजन ट्रेन साल 2022 में जर्मनी देश में चली है, बता दें कि वहां कामर्शियल सर्विस के लिए हाइड्रोजन ट्रेन चलाया जा रहा है। जर्मनी की इस हाइड्रोजन ट्रेन को अलस्टॉम ने बनाया है। इसके एक साल बाद ही फ्रांस ने भी हाइड्रोजन ट्रेन की दिशा में कदम बढ़ा दिया। उचित है कि अलस्टॉम का हेडक्वार्टर फ्रांस में ही है।

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