जींद जिला परिषद की मंगलवार को चौथी बार बुलाई गई बैठक भी स्थगित (Jind Zila Parishad meeting cancelled) हो गई। चेयरपर्सन मनीषा रंधावा गुट के पार्षद और ब्लाक समिति प्रधान बैठक के लिए निर्धारित समय 11 बजे से पहले ही कार्यालय में पहुंच गए थे। तभी जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. किरण सिंह ने प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए बैठक स्थगित किए जाने का पत्र जारी कर दिया।
प्रशासनिक कारण क्या रहे, ये पत्र में स्पष्ट नहीं है। चेयरपर्सन गुट का दावा है कि उनके समर्थन में 14 पार्षद और पांच ब्लाक समिति प्रधान बैठक के लिए आए हुए थे। अब ये बैठक 12 अगस्त को बुलाई गई है। विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और सितंबर में आचार संहिता लगने की संभावना है। ऐसे में सरकार से (Jind Zila Parishad) विकास कार्यों के लिए मिला करीब साढ़े 6 करोड़ रुपये का बजट अटक सकता है। जब तक हाउस की बैठक नहीं होगी, तब तक इस बजट को विकास कार्यों पर खर्च नहीं किया जा सकेगा।
चेयरपर्सन खेमे के पार्षदों का कहना है कि ये बैठक सरकार के दबाव में ऐन वक्त पर स्थगित गई है। वहीं चेयरपर्सन ने वाइस चेयरमैन गुट पर विकास कार्यों में रोड़ा अटकाने के लिए बार-बार बैठक नहीं होने देने का आरोप लगाया है। जजपा समर्थित मनीषा रंधावा भाजपा समर्थित उम्मीदवार कविता को हराकर चेयरपर्सन (Jind Zila Parishad) बनी थी। वहीं वाइस चेयरमैन भाजपा गुट से सतीश हथवाला बने थे। भाजपा-जजपा का गठबंधन टूटने के बाद जिला परिषद में खींचतान बढ़ गई है। जिसके चलते ही बजट वितरण नहीं हो पा रहा है और बार-बार बैठक स्थगित हो रही है।
वाइस चेयरपर्सन खेमा नहीं चाहता कि चेयरपर्सन को बजट वितरण का अधिकार मिले। हाउस में जिसके पास भी बहुमत होगा, उसी को बजट वितरण का अधिकार मिलेगा। 28 जून और 12 जुलाई को बुलाई आम बैठक प्रशासनिक कारणों से स्थगित हुई थी। 15 जुलाई को बुलाई विशेष बैठक कोरम अधूरा रहने से नहीं हो सकी थी। उस दिन चेयरपर्सन खेमे के 19 सदस्य पहुंचे थे और दूसरे खेमे से काेई नहीं आया था। काेरम के लिए 20 सदस्यों की बैठक में उपस्थिति (Jind Zila Parishad chairperson) जरूरी थी।
12 को फिर बुलाई (Jind Zila Parishad) बैठक, विधानसभा चुनाव नजदीक, सितंबर में लग जाएगी आचार संहिता
लोकसभा चुनाव के बाद जिला परिषद के पास सरकार से दो बार बजट आ चुका है। जून में करीब ढाई करोड़ रुपये का बजट मिला था। वहीं पिछले दिनों लगभग चार करोड़ रुपये का बजट आया है। इस राशि से गांवों में स्कूलों में चहारदीवारी, आंगनबाड़ी, श्मशान घाट के कामों के साथ-साथ वाटर कूलर लगाने सहित अन्य विकास कार्य करवाए जाने हैं। पार्षद भी अपने वार्डों के कामों की सूची तैयार किए हुए हैं।
अधिकारी भी हो रहे परेशान
जिला परिषद हाउस की बैठक में सभी विभागों के अधिकारियों को भी बुलाया जाता है, ताकि पार्षद उनके विभागों से संबंधित समस्याएं और मांगें रख सकें। अधिकारी निर्धारित समय पर डीआरडीए हाल में पहुंच कर बैठक होने का इंतजार करते रहते हैं और बाद में बैठक स्थगित होने का पता चलता है। जिसके चलते उन्हें मायूस होकर वापस लौटना पड़ता है। जिला परिषद स्टाफ ने भी मंगलवार को बैठक से पहले हाउस सदस्यों और अधिकारियों के लिए जलपान व अन्य व्यवस्थाएं कर ली थी। जो किसी काम नहीं आई।
विपक्षी खेमा नहीं चाहता, गांवों में विकास कार्य हों : चेयरपर्सन
जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा ने कहा कि विपक्षी खेमा जिले में विकास कार्य नहीं होने देना चाहता है। इसलिए ही बैठक नहीं होने दी जा रही है। विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। जल्द ही आचार संहिता लगने वाली है। इसलिए बचे हुए कम समय में गांवों में ज्यादा से ज्यादा विकास कार्य हों, यही उनका प्रयास है। मंगलवार को भी बैठक के लिए उनकी तरफ से 19 सदस्य पहुंचे हुए थे, जबकि कोरम के लिए 14 सदस्यों की उपस्थिति जरूरी थी।
भेदभाव के कारण चेयरपर्सन से नाराज हैं पार्षद : वाइस चेयरमैन
वाइस चेयरमैन सतीश हथवाला ने कहा कि सभी वार्डों में विकास कार्यों के लिए बराबर बजट दिया जाना चाहिए। चेयरपर्सन विकास कार्यों में भेदभाव कर रही हैं और खुद अपनी मर्जी से बजट खर्च करना चाहती हैं। जिससे पार्षद नाराज हैं और बैठक में नहीं आ रहे हैं। इस कारण कोरम भी पूरा नहीं हो पा रहा। चेयरपर्सन सभी वार्डों के लिए बजट का समान वितरण कर विकास कार्य करवाएं, तो पार्षद भी बैठक में आने के लिए तैयार हैं।