Child mental health updates : दुर्भाग्यवश, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। यहां तक कि इसे मज़ाक में भी लिया जाता है। एक समाज के रूप में विकास के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम समस्याओं को स्वीकारें, चाहे वे कितनी भी बड़ी या छोटी क्यों न हों, और विशेष रूप से जब बात हमारे बच्चों की हो।
बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को समझने का पहला कदम: सही सवाल पूछना
बच्चों में मानसिक तनाव mental stress in children को समझने के लिए पहला कदम है – सवाल करना। अगर आपको अपने बच्चे के व्यवहार में कोई बदलाव दिखे, तो उनसे इस बारे में बात करें। अगर ज़रूरत हो, तो सही पेशेवर मदद लें।
नीचे हम बच्चों में आमतौर पर पाई जाने वाली कुछ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा कर रहे हैं:
मानसिक स्वास्थ्य समस्या | प्रमुख लक्षण |
चिंता (Anxiety) | लगातार भय और चिंता, स्कूल, दोस्तों और अन्य बातों को लेकर परेशान रहना, माता-पिता से अलग होने का डर, फोबिया का विकास |
ध्यान अभाव अतिसक्रियता विकार attention deficit hyperactivity disorder (ADHD) | ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई difficulty concentrating, अत्यधिक सक्रियता, आवेगपूर्ण व्यवहार impulsive behavior, आत्म-सम्मान में कमी, खराब संबंध और स्कूल में खराब प्रदर्शन |
अवसाद (Depression) | उदासी, निराशा, पहले पसंदीदा गतिविधियों में रुचि की कमी |
oppositional dissociative disorder विरोधी असहयोगी विकार (ODD) | लगातार क्रोधित रहना, घर, स्कूल या अन्य जगहों पर लगातार अनुशासनहीनता, शांत न रह पाना |
पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) | अतीत की घटना को लेकर डरावने विचार आना, शारीरिक और भावनात्मक रूप से असहज महसूस करना |
कब लें मदद ? माता-पिता के लिए गाइडलाइन
माता-पिता बच्चे के सबसे बड़े सपोर्ट सिस्टम होते हैं। अगर आपको बच्चे के व्यवहार में कोई असामान्य पैटर्न दिखता है, तो सबसे पहले उनके शिक्षकों से बात करें। इसके अलावा, बच्चों के डॉक्टर से सलाह लें और अगर ज़रूरत हो, तो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से मदद लेने की कोशिश करें।
महत्वपूर्ण बातें जो ध्यान में रखनी चाहिए
मानसिक विकार का मतलब नहीं कि बच्चा भविष्य में खुश नहीं रह सकेगा:
मानसिक समस्याएं अक्सर बायोलॉजिकल होती हैं और इसका संबंध खराब पालन-पोषण से नहीं होता। सही मदद के जरिए बच्चे इन समस्याओं से उबर सकते हैं। यह मानना गलत होगा कि वे खुद से इन समस्याओं से बाहर आ जाएंगे।
समय पर हस्तक्षेप है जरूरी:
अगर सही समय पर मदद ली जाए, तो बच्चों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।
बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को हल्के में न लें :Don’t take children’s mental health problems lightly
जब बात बच्चों की आती है, तो यह सोचना कि वे बड़े होकर खुद से ठीक हो जाएंगे, सबसे बड़ी भूल हो सकती है। सही समय पर की गई कार्रवाई ही बच्चों के भविष्य को बेहतर बना सकती है।
आज के दौर में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करना और उनसे सही सवाल पूछना ही समाज के आगे बढ़ने का सही रास्ता है।
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना और समय पर हस्तक्षेप करना एक जिम्मेदार समाज की पहचान है। सही जानकारी, सही समय पर मदद और माता-पिता का सहयोग बच्चों के मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाता है। इस दिशा में कदम बढ़ाना ही भविष्य की उज्जवल तस्वीर का निर्माण कर सकता है।
माता-पिता होने के नाते, हमें यह समझना चाहिए कि हमारे बच्चे ही भविष्य हैं, और उनके मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना हमारी जिम्मेदारी है।