भारतीय बैंकिंग सिस्टम में सेविंग अकाउंट सिर्फ पैसे जमा करने का सुरक्षित (RBI Savings Account New Rule) तरीका नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा माध्यम भी है जहाँ आपके जमा धन पर ब्याज भी मिलता है। आरबीआई के नए दिशानिर्देशों के तहत अब सेविंग अकाउंट में बड़ी रकम जमा करने और ब्याज की आय पर टैक्स की जिम्मेदारी को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं, जिन्हें समझना हर खाताधारक के लिए जरूरी है।
Savings account : लचीलापन और संभावनाएं
भारत में किसी भी व्यक्ति के पास अनेक सेविंग अकाउंट्स खोलने की स्वतंत्रता है, जिसमें वह कितनी भी राशि जमा कर सकता है। इस लचीलेपन के कारण लोग अपने वित्तीय योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू कर सकते हैं।
हालाँकि, नए नियमों के तहत अगर किसी खाते में एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक की राशि जमा की जाती है, तो बैंक को इसकी जानकारी CBDT (Central Board of Direct Taxes) को देनी अनिवार्य है। इससे न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि वित्तीय निगरानी को भी मजबूत किया जा सकेगा।
RBI Savings Account New Rule : बड़ी राशि के जमा करने पर आयकर नोटिस का खतरा
सेविंग अकाउंट में बड़ी रकम जमा करने के मामले में सतर्क रहने की आवश्यकता है। अगर आपके खाते में अचानक बड़ी राशि जमा होती है, तो आयकर विभाग आपके वित्तीय लेनदेन की गहराई से जांच पड़ताल कर सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी लेनदेन कानूनी और सही हैं, बैंकिंग प्रणाली अब और भी सख्त हो गई है।
ब्याज इनकम पर भी टैक्स भरना जरूरी
Savings account: सेविंग अकाउंट पर मिलने वाली ब्याज आय भी अब आयकर के दायरे में आती है। अगर आपकी ब्याज आय एक निश्चित सीमा से अधिक है, तो आपको इस पर टैक्स देना होगा, जो कि आपकी कुल आय में जोड़ी जाएगी। इस नए नियम के तहत, अगर कोई खाताधारक अपनी ब्याज आय पर टैक्स नहीं चुकाता है, तो उसे आयकर विभाग की तरफ से नोटिस भी मिल सकता है।
निवेश के विकल्प और सुझाव :
सेविंग अकाउंट में पैसा रखने के बजाय, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि उच्च रिटर्न पाने के लिए म्यूचुअल फंड्स(mutual funds) या शेयर बाजार में निवेश करना बेहतर हो सकता है। हालाँकि, इस प्रकार का निवेश उन्हीं के लिए उपयुक्त है जो मध्यम से उच्च जोखिम लेने के लिए तैयार हैं।
RBI Savings Account New Rule: आरबीआई के इन नए दिशानिर्देशों के तहत, सेविंग अकाउंट में बड़ी रकम रखना अब उतना सरल नहीं रहा। इसीलिए, सभी खाताधारकों को अपने बैंकिंग लेनदेन और ब्याज आय पर ध्यान देने की सख्त आवश्यकता है ताकि किसी भी प्रकार के आयकर नोटिस से बचा जा सके।