नई दिल्ली : हरियाणा विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया (Deepak Babria) की तबियत अचानक बिगड़ गई। उन्हें तत्काल दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती किया गया। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, बाबरिया का ब्लड प्रेशर सामान्य न होने के कारण उनकी स्थिति बिगड़ी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया। फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है और वे डॉक्टरों की निगरानी में हैं।
Deepak Babria : कांग्रेस टिकट बंटवारे की प्रक्रिया में तनाव
हरियाणा में कांग्रेस के टिकट बंटवारे को लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार विवाद और विरोध के बीच बाबरिया पर भारी दबाव था। हाल ही में वायरल हुए वीडियो में देखा गया कि कांग्रेस के टिकट दावेदारों ने बाबरिया से तीखे सवाल किए, जिसके बाद वे असहाय नजर आए। इस दौरान उनकी आंखों में आंसू भी देखे गए। टिकट बंटवारे की प्रक्रिया के दौरान बाबरिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, क्योंकि कांग्रेस ने अब तक दो सूचियां जारी की हैं, जिनमें 41 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है।
आप-कांग्रेस (Aap congress gathbandhan) गठबंधन की चुनौती
कांग्रेस के भीतर टिकट बंटवारे के विवाद के अलावा, आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन की जिम्मेदारी भी बाबरिया को सौंपी गई थी। राहुल गांधी ने हरियाणा में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की प्रक्रिया को संभालने का कार्य बाबरिया को ही दिया था। इस मुद्दे पर भी पार्टी के भीतर कई चुनौतियां और असहमतियां थीं, जिसने बाबरिया पर अतिरिक्त दबाव बनाया।
उम्मीदवारों की लिस्ट पर विवाद
कांग्रेस की पहली सूची जारी होने के बाद, टिकट दावेदारों ने 6 सितंबर को दिल्ली में बाबरिया का घेराव किया। इसके बाद, वे किसी तरह ऑफिस पहुंचे और दावेदारों से बातचीत की, लेकिन इस दौरान भी उनकी स्थिति काफी असहज नजर आई। दूसरी और तीसरी सूची में भी कई महत्वपूर्ण नामों को शामिल किया गया है। उचाना कलां से बृजेंद्र सिंह, पहलवान विनेश फोगाट, और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे प्रमुख नामों को टिकट दिया गया है।
टिकट बंटवारे के बाद आगे की चुनौतियां
टिकट बंटवारे और गठबंधन के मुद्दों के बीच हरियाणा कांग्रेस में आंतरिक खींचतान और तनाव बढ़ता जा रहा है। दीपक बाबरिया की तबियत बिगड़ने के बाद पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में चिंता की लहर दौड़ गई है। आगे की प्रक्रिया और गठबंधन की औपचारिक घोषणा अब किस तरह से पूरी होगी, यह देखना बाकी है। कांग्रेस के लिए यह चुनावी समय बेहद महत्वपूर्ण है, और पार्टी के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं, जिनका समाधान जल्द ही निकाला जाना आवश्यक है।