Hot Seat Uchana : जींद : बांगर की धरती जींद को राजनीति लांचिंग पैड माना (Hot Seat Uchana) जाता है। यह चौटाला परिवार पर सही भी बैठता है। चौधरी देवीलाल से लेकर ओमप्रकाश चौटाला और फिर दुष्यंत चौटाला हमेशा ही जींद की धरती से राजनीतिक ताकत लेते रहे हैं। जींद जिलें के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में कभी खास प्रभाव रखने वाला इनेलो फिर अपने आधार की तलाश कर रहा है। इसमें वह कितना सफल होता है , यह देखने वाली बात होगी।
Hot Seat Uchana :दो साल पहले भी चौधरी देवीलाल सम्मान समारोह का कार्यक्रम जींद में किया गया और चुनाव के बीच में आई जयंती पर भी उचाना में प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम किया गया। इससे साफ है कि चौटाला परिवार फिर से जींद की धरती से फिर एक बार राजनीतिक ताकत की उम्मीद लगा रहा है।
Hot Seat Uchana :दरअसल जींद जिला में एक समय देवीलाल परिवार का काफी प्रभाव रहा है। चौधरी देवीलाल ने 1986 में जींद में अखिल हरियाणा सम्मेलन कर प्रदेश की राजनीति में नई पहचान बनाई। जहां उनकी रैली हुई, आज भी उसे देवीलाल ग्राउंड के नाम से ही जाना जाता है। इसका असर यह रहा कि जिला की पांच से चार सीट जुलाना, जींद, उचाना व नरवाना में लोकदल के उम्मीदवार विजयी हुए। इनमें उचाना में खास प्रभाव रखने वाले बीरेंद्र सिंह को लोकदल के देसराज व नरवाना में शमशेर सिंह के गढ़ को तोड़ते हुए लोकदल के टेकचंद में जीत दर्ज की। इसके बाद से जींद जिला में लगातार देवीलाल परिवार का प्रभाव बढ़ता रहा।
Hot Seat Uchana :स्वयं ओमप्रकाश चौटाला ने भी महम कांड के बाद जींद में प्रदेश स्तरीय सम्मेलन कर अपनी अलग छवि बनाई। इसके बाद वर्ष 2000 के चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला ने नरवाना से चुनाव जीते और मुख्यमंत्री बने। 2009 में ओमप्रकाश चौटाला उचाना से बीरेंद्र सिंह को हराकर विधायक बने। इसके बाद देवीलाल परिवार से ही इनेलो के टिकट पर दुष्यंत चौटाला 2014 का चुनाव लड़ृा, लेकिन वे हार गए।
इसके बाद 2019 में इनेलो में फूट हुई तो दुष्यंत चौटाला ने अलग होकर जींद की धरती पर ही नई पार्टी जजपा का गठन किया। 2019 के चुनाव में कुल दस सीट जीतने वाली जजपा को तीन सीट अकेले जींद जिला ने दी। ऐसे में देवीलाल परिवार के जींद की धरती राजनीतिक रूप से काफी उर्वरक रही है। अब फिर से इनेलो ने जींद से नई ताकत लेने का प्रयास किया है।
जींद जिला से ही कम भागेदारी
चुनाव के बीच में हो रही इनेलो-बसपा की रैली में जींद जिला से मूल इनेलो काडर रहे वर्ग से लोग कम रहे। हालांकि बसपा सुप्रीमो मायावती भी रैली में आने के कारण बसपा के काडर की संख्या अधिक रही। इससे इनेलो बसपा के सहारे भी नई जमीन तलाश रही है।
अभय ने फिर बिजली को बनाया मुद्दा
जिला में इनेलो को कमजोर करने वाला बिजली बिल का बड़ा मुद्दा रहा है। 2002 में कंडेला गांव में बिजली बिल को लेकर हुए आंदोलन के बाद इनेलो का ग्राफ लगातार गिरता रहा। अब उचाना की रैली में अभय चौटाला ने इसी को दोबारा मुद्दा बनाते हुए कहा कि यदि उनकी सरकार आती है तो बिजली मीटर उतार कर फेंक देंगे।