Air pollution in Delhi and Haryana: वायु प्रदूषण की गंभीरता से जूझ रहे हरियाणा और दिल्ली में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक होता जा रहा है। हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं और दिल्ली के हॉट स्पॉट में औद्योगिक प्रदूषण ने वायु गुणवत्ता को खतरनाक बना दिया है। राज्य सरकारों के कड़े प्रयासों के बावजूद स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है। हरियाणा के कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से ऊपर पहुंच गया है, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। कैथल में AQI 500 तक पहुंच गया है, जो खतरनाक स्थिति का संकेत देता है। दिल्ली के वजीरपुर हॉट स्पॉट सहित 13 स्थानों पर प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ रहा है।
Air pollution in Delhi and Haryana: हरियाणा में प्रदूषण का बड़ा कारण
हरियाणा में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं ने वायु प्रदूषण को और गंभीर बना दिया है। सरकार द्वारा सख्त निगरानी के बावजूद राज्य में 689 जगहों पर फसल अवशेष जलाए जा चुके हैं। कैथल में सबसे अधिक 131 जगहों पर पराली जलाई गई है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, किसान फसल की कटाई के बाद खेत को जल्दी तैयार करने के लिए अवशेष में आग लगाते हैं, जिससे वायु में जहरीले कण बढ़ जाते हैं। पिछले वर्षों की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन यह अभी भी प्रदूषण का बड़ा कारण बनी हुई है।
पिछले चार वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है:
2020: 18,775 जगह
2021: 8,762 जगह
2022: 7,833 जगह
2023: 5,331 जगह
2024: 4,369 जगह
हालांकि, कमी के बावजूद, इन घटनाओं ने वायु गुणवत्ता में सुधार को सीमित कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस बार पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में सबसे अधिक कमी देखी गई है, जबकि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में स्थिति कुछ हद तक नियंत्रण में है।
हरियाणा के प्रमुख शहरों की वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) स्थिति
हरियाणा के कई प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में आ गया है। आंकड़ों के अनुसार, कैथल में AQI 500 तक पहुंच गया, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। अन्य शहरों में AQI की स्थिति कुछ इस प्रकार है:
जींद: 402
करनाल: 413
कुरुक्षेत्र: 417
भिवानी: 308
सोनीपत: 407
प्रदूषण का स्तर बढ़ने से नागरिकों को स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो रही हैं, खासकर बुजुर्गों और बच्चों में सांस लेने की समस्या अधिक देखी जा रही है।
दिल्ली सरकार का ड्रोन मैपिंग पायलट प्रोजेक्ट
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए 13 हॉट स्पॉट्स पर ड्रोन मैपिंग की योजना शुरू की है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वजीरपुर हॉट स्पॉट पर प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों की पहचान करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया। यह ड्रोन 120 मीटर की ऊंचाई से 200 मीटर की रेडियस में प्रदूषण स्रोतों की जानकारी एकत्र करेगा।
यदि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होता है, तो इसे अन्य हॉट स्पॉट पर भी लागू किया जाएगा। ड्रोन मैपिंग के माध्यम से दिल्ली में औद्योगिक और निर्माण से जुड़े प्रदूषण स्रोतों की पहचान की जा सकेगी, जिससे समय पर कार्रवाई की जा सकेगी।
केंद्र सरकार का सार्वजनिक परिवहन पर जोर
केंद्र सरकार ने सभी नागरिकों को सार्वजनिक परिवहन के उपयोग और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से बचने की सलाह दी है। सर्दियों के मौसम और दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान प्रदूषण के स्तर में वृद्धि की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत राज्यों को प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने की हिदायत दी गई है।
प्रदूषण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदम
प्रदूषण से निपटने के लिए हरियाणा और दिल्ली सरकार ने कई उपाय किए हैं। दिल्ली में हॉट स्पॉट वाले इलाकों में 80 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन लगाए गए हैं। इसके अलावा, प्रदूषण नियंत्रण के लिए 13 कोऑर्डिनेशन टीमें भी बनाई गई हैं जो हॉट स्पॉट का नियमित निरीक्षण करती हैं।
सोनीपत में प्रदूषण फैलाने वाली दो इंडस्ट्रीज को सील कर दिया गया है, जबकि 13 अन्य को नोटिस जारी किया गया है। इसके साथ ही 21 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली और हरियाणा के मुख्य सचिवों को भी पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं।
सैटेलाइट से फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर सख्त नजर
पराली जलाने की घटनाओं पर कड़ी निगरानी रखने के लिए सैटेलाइट का उपयोग किया जा रहा है। सैटेलाइट के माध्यम से हरियाणा और पंजाब में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं की सटीक जानकारी जिलों में भेजी जा रही है, जिससे प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करने में मदद मिल रही है। इस निगरानी प्रक्रिया में खेतों के अक्षांश और देशांतर के साथ डेटा भेजा जा रहा है।
दिवाली के दौरान प्रदूषण का बढ़ता खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, दिवाली के दौरान पराली जलाने और पटाखों के कारण प्रदूषण में और वृद्धि हो सकती है। दिवाली के दौरान हवा में घुले कणों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। आंकड़ों के अनुसार, धान की कटाई अक्टूबर के मध्य से होती है, जिसके बाद किसान फसल अवशेष जलाने लगते हैं। यह सिलसिला 9 नवंबर तक चलता है, जिससे प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है।
प्रदूषण से बचाव के उपाय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए नागरिकों को सतर्कता बरतने की सलाह दी है। अत्यधिक भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से बचें और अगर संभव हो तो घर के भीतर ही रहें। बाहर निकलने पर मास्क का उपयोग करें और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने के लिए पौष्टिक आहार लें।
हरियाणा और दिल्ली में प्रदूषण का बढ़ता स्तर चिंता का विषय है। राज्य सरकारें और केंद्र सरकार स्थिति पर काबू पाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं, लेकिन प्रदूषण पर नियंत्रण पाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।