Lateral entry UPSC 2024 : केंद्र सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के चेयरमैन को लैटरल एंट्री से संबंधित जारी विज्ञापन को रद्द करने का आदेश दिया है। यह निर्देश केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्री जितेंद्र सिंह द्वारा भेजे गए एक पत्र में दिया गया है। इस पत्र में कहा गया है कि सरकार वर्तमान लैटरल एंट्री प्रक्रिया की व्यापक समीक्षा कर रही है और इस संदर्भ में UPSC को आगे कोई कदम नहीं उठाने के लिए कहा गया है।
Purpose and controversies of lateral UPSC entry लैटरल एंट्री का उद्देश्य और विवाद
गौरतलब है कि 17 अगस्त 2024 को केंद्र सरकार ने 45 प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों की तलाश के लिए विज्ञापन जारी किया था। यह भर्ती संयुक्त सचिव, निदेशक, या उप सचिव के पदों के लिए की जानी थी। इस पहल का उद्देश्य सरकार में विशेषज्ञता की कमी को पूरा करना था। हालाँकि, इस प्रक्रिया में आरक्षण की व्यवस्था न होने के कारण यह विवाद का विषय बन गई।
सामाजिक न्याय का मुद्दा और विपक्ष का विरोध:
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों पर हमला बताया और कहा कि लैटरल एंट्री बहुजनों से आरक्षण छीनने की साजिश है ( Lateral entry is a conspiracy to snatch reservation from Bahujans) । उन्होंने आगे इसे राष्ट्र-विरोधी कदम करार दिया। इसके अलावा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने भी इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने इसे संविधान और बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा स्थापित आरक्षण की व्यवस्था के खिलाफ बताया।
Government’s stance on lateral entry : सरकार का रुख और भाजपा की सफाई
भाजपा ने इस विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि लैटरल एंट्री की प्रक्रिया को पारदर्शी और संस्थागत बनाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि इस प्रक्रिया की शुरुआत कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान हुई थी। उन्होंने याद दिलाया कि दूसरी प्रशासनिक सुधार आयोग Administrative Reforms Commission (ARC) ने 2005 में इस प्रक्रिया की सिफारिश की थी।
Signs of change in direction of lateral UPSC entry : लैटरल एंट्री की दिशा में बदलाव के संकेत
सरकार द्वारा UPSC को भेजे गए पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि लैटरल एंट्री की प्रक्रिया संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप होनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि इस प्रक्रिया को आरक्षण के प्रावधानों के साथ संतुलित किया जाना चाहिए।
घटना | तिथि |
लैटरल एंट्री विज्ञापन जारी | 17 अगस्त 2024 |
सरकार का विज्ञापन रद्द करने का आदेश | 19 अगस्त 2024 |
विवाद और विपक्ष का विरोध | 20 अगस्त 2024 |
इस निर्णय के बाद यह देखा जाएगा कि लैटरल एंट्री प्रक्रिया को कैसे पुनर्गठित किया जाएगा, जिससे यह न केवल विशेषज्ञता को बढ़ावा दे सके, बल्कि सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का भी पालन कर सके।