drdo hypersonic missile test: ओडिशा: भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 1500 किलोमीटर से भी अधिक है और यह आवाज की गति से 5 गुना तेज यानी लगभग 6174 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकती है। यह मिसाइल क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल दोनों की विशेषताओं से लैस है, जो इसे और भी घातक बनाती है।
drdo hypersonic missile test: चीन और पाकिस्तान के लिए खतरा
हाइपरसोनिक मिसाइल को DRDO और हैदराबाद स्थित डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स ने मिलकर विकसित किया है। यह मिसाइल (drdo hypersonic missile) सभी सशस्त्र बलों के लिए उपयोगी है और इसे अलग-अलग पेलोड से लैस किया जा सकता है। इसकी तेज गति और अचूक निशाने की वजह से इसे रोकना लगभग असंभव है।
Attacks beyond the Earth’s orbit: पृथ्वी की कक्षा के पार जाकर करती है हमला
हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च के बाद पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलती है और जमीन या हवा में मौजूद अपने लक्ष्य को भेदती है। तेज रफ्तार के कारण इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल हो जाता है। इसकी क्षमताएं भारत के रक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाई पर ले जाती हैं।
drdo hypersonic missile test: सिर्फ 5 देशों के पास है यह तकनीक
दुनिया में केवल 5 देशों- अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और भारत के पास ही हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक है। भारत ने इस मिसाइल को सफलतापूर्वक विकसित करके अपने आप को इस लिस्ट में मजबूती से स्थापित कर लिया है। कई देश अभी इस तकनीक को विकसित करने में लगे हैं।
वैज्ञानिकों और अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ परीक्षण
ओडिशा के तटीय इलाके में अब्दुल कलाम द्वीप पर हुए इस परीक्षण के दौरान DRDO के वैज्ञानिक और सेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। drdo hypersonic missile टेस्ट के दौरान मिसाइल को अलग-अलग रेंज सिस्टम से ट्रैक किया गया और इसके प्रभाव व अचूक निशाने की पुष्टि की गई।
drdo hypersonic missile test: रक्षा मंत्री ने दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और DRDO के अध्यक्ष समीर वी कामत ने इस सफलता पर पूरी टीम को बधाई दी। यह परीक्षण भारत की रक्षा क्षमता को और भी मजबूत करेगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की स्थिति को सशक्त करेगा।
भारत की नई ताकत
यह मिसाइल भारत की सुरक्षा को नई ताकत देगी और दुश्मनों के लिए एक बड़ा खतरा साबित होगी। चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को यह मिसाइल भारत की बढ़ती शक्ति और आत्मनिर्भरता का संकेत है।