चंडीगढ़: आज के समय में जहां लोग केवल अपने और अपने परिवार के लिए सोचते हैं, वहीं चंडीगढ़ के सेक्टर-28 में एक परिवार ने ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसने तीन लोगों की जान बचा कर (Brain dead person) उन्हें नया जीवन दे दिया।
दरअसल, अलकेमिस्ट अस्पताल सेक्टर 21 में एक व्यक्ति, सुदेश कुमार को सड़क दुर्घटना के बाद घायल अवस्था में लाया गया था। डॉक्टरों ने काफी कोशिशें कीं, लेकिन अंततः सुदेश कुमार की ब्रेन डेथ हो चुकी थी। अस्पताल के डॉक्टर नीरज के अनुसार, जब सुदेश कुमार की ब्रेन डेथ की पुष्टि हुई, तो उन्होंने परिवार को सूचित किया कि अब उनका बचना मुश्किल है। इसके बाद परिवार ने आपस में विचार-विमर्श किया और अंगदान (Brain dead person) के बारे में सोचा।
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सुदेश कुमार की पत्नी ने साहस दिखाते हुए निर्णय लिया कि वे अपने पति के अंगदान से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को नया जीवन देना चाहती हैं। 28 नवंबर को मरणोपरांत अंगदान की प्रक्रिया शुरू की गई और 29 नवंबर को इसे पूरा कर लिया गया। उनके अंगों को हार्वेस्ट किया गया, जिनमें लीवर और दोनों किडनियां शामिल थीं।
अलकेमिस्ट अस्पताल के किडनी ट्रांसप्लांट के वरिष्ठ सर्जन डॉ. नीरज ने बताया कि सुदेश कुमार के अंगों से तीन गंभीर रूप से बीमार (Brain dead person) मरीजों को नया जीवन मिलेगा। सुदेश कुमार का लीवर मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली भेजा गया है, जबकि एक किडनी रोहतक में ट्रांसप्लांट की जाएगी और दूसरी किडनी अलकेमिस्ट अस्पताल में एक डायलिसिस पर जीवन बिता रहे मरीज को दी जाएगी।
डॉ. नीरज ने कहा कि सुदेश कुमार के परिवार ने यह संदेश दिया है कि अंगदान से बढ़कर कोई दान नहीं हो सकता। मृत्यु के बाद भी एक व्यक्ति 8 से 10 लोगों का जीवन बचा सकता है।