Bet dawarka gujrat : गुजरात हाई कोर्ट ने बेट द्वारका के दो द्वीपों पर कब्जा जमाने के सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया है। इस फैसले ने न केवल एक महत्वपूर्ण कानूनी मसले को हल किया है, बल्कि इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त चर्चा छेड़ दी है। आइए जानते हैं, कैसे यह मुद्दा विकसित हुआ और इसके पीछे की कहानी क्या है।
बेट द्वारका का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
बेट द्वारका, जो गुजरात के ओखा नगरपालिका के अंतर्गत आता है, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ द्वारिकाधीश का प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसे लगभग 5,000 साल पहले रुक्मिणी ने स्थापित किया था। यह द्वीप हिंदू धार्मिक मान्यताओं में गहरा महत्व रखता है और सदियों से यह एक शांतिपूर्ण स्थान रहा है, जहाँ हिंदू मछुआरे अपने जीवन-यापन के लिए मछली पकड़ते थे।
Bet Dwarka gujrat : धीरे-धीरे बदलता जनसांख्यिकी संतुलन :
समय के साथ, इस द्वीप पर बाहर से आने वाले मुस्लिम मछुआरों की संख्या बढ़ने लगी। हिंदू समुदाय ने शुरू में उन्हें यहाँ मछली पकड़ने की अनुमति दी, लेकिन धीरे-धीरे पूरा कारोबार मुस्लिम मछुआरों के नियंत्रण में आ गया। बाहरी फंडिंग के जरिए, मुस्लिम मछुआरों ने बाजार में सस्ती मछली बेचनी शुरू की, जिससे हिंदू मछुआरे बेरोजगार हो गए और उन्हें रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ा।
Bet Dwarka gujrat : ट्रांसपोर्ट और रोजगार पर नियंत्रण :
समस्या तब और बढ़ गई जब मुस्लिम मछुआरों ने नाव परिवहन पर भी नियंत्रण कर लिया। बेट द्वारका से ओखा तक जाने के लिए नाव किराया हिंदुओं के लिए 100 रुपये और मुस्लिमों के लिए 8 रुपये कर दिया गया। इस भेदभावपूर्ण किराये ने हिंदू समुदाय के पलायन को और तेज कर दिया, जिससे अब यहाँ मात्र 15 प्रतिशत हिंदू आबादी बची है।
वक्फ बोर्ड का दावा और अदालत का फैसला
इस बीच, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि बेट द्वारका के दो द्वीप उनके स्वामित्व में आते हैं, जिन पर भगवान कृष्ण के प्राचीन मंदिर स्थित हैं। गुजरात हाई कोर्ट ने इस दावे पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए इसे खारिज कर दिया और कहा कि कृष्ण नगरी पर वक्फ बोर्ड का दावा करना असंभव है।
Bet Dwarka gujrat :सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना
सरकार ने ओखा से बेट द्वारका तक एक सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण का काम शुरू किया है, जिससे परिवहन और आसान हो सके। इसके साथ ही, अवैध निर्माणों की जांच के दौरान कई मजारें और कब्जे हटाए जा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि ऐसे कब्जे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं।
Bet Dwarka gujrat: बेट द्वारका का यह मामला दिखाता है कि कैसे धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक कारक मिलकर एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं। गुजरात हाई कोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण जीत है, जो न केवल इस क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करता है, बल्कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने की भी आवश्यकता पर जोर देता है ।