Haryana Election Effect: आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने सोमवार को राज्य के प्रमुख नेताओं के साथ एक अहम बैठक की। इस दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के नेताओं को आगाह करते हुए कहा कि उन्हें अति आत्मविश्वास से बचना चाहिए और राज्य में जीत हासिल करने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा। हाल ही में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों में पार्टी को मिली हार के बाद कांग्रेस किसी भी तरह की गलती से बचना चाहती है। इन चुनावों में कांग्रेस को अपने प्रदर्शन से निराशा मिली थी और अब पार्टी नहीं चाहती कि महाराष्ट्र में भी वैसी ही स्थिति हो।
मंगलवार को चुनाव आयोग (EC) द्वारा महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा की है, जिससे विपक्षी दलों की एकता और कांग्रेस के लिए यह चुनावी लड़ाई बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर एक(Haryana Election Effect) ही चरण में 20 नवंबर को वोटिंग होगी जिसके परिणाम 23 नवंबर को आयेंगे।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन इंडिया (INDIA) के लिए यह एक बड़ा चुनौतीपूर्ण चुनावी दौर साबित हो सकता है, खासकर हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में पार्टी की खराब प्रदर्शन के बाद। अब कांग्रेस की नजरें महाराष्ट्र और झारखंड में अपनी स्थिति मजबूत करने पर हैं।
Haryana Election Effect: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की हार से सबक
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की निराशाजनक हार ने पार्टी को आत्मनिरीक्षण के लिए मजबूर कर दिया है। लोकसभा चुनावों में भाजपा को अपेक्षित बहुमत से दूर रखने में कामयाब होने के बाद, कांग्रेस ने इन राज्यों में आत्मविश्वास के साथ चुनाव लड़ा था। हालांकि, परिणाम पार्टी के लिए काफी निराशाजनक रहे। इन हारों ने पार्टी के आत्मविश्वास को झटका दिया है, और अब महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके सहयोगियों के सामने बड़ी चुनौती है।
Haryana Election Effect: सीट बंटवारा: सबसे बड़ी चुनौती
महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और शरद पवार की NCP (एसपी) का गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA) के रूप में भाजपा-शिवसेना-एनसीपी (अजित पवार गुट) सरकार को सत्ता से बाहर करने की तैयारी कर रहा है। इस गठबंधन की लोकसभा चुनावों में अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन ने MVA को नया हौसला दिया है। MVA ने लोकसभा चुनावों में भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन को कड़ी टक्कर दी थी और अब विधानसभा चुनावों में भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहा है।
हालांकि, सीट बंटवारे को लेकर MVA के भीतर खींचतान की संभावना है। कांग्रेस, जिसने महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा 13 सीटें जीती थीं, विधानसभा चुनावों में अधिक सीटों पर दावेदारी कर रही है। कांग्रेस का मानना है कि उसकी राज्य में व्यापक उपस्थिति है और उसे सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर मिलना चाहिए। कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और एनसीपी (SP) के साथ कठिन सीट बंटवारे पर मोलभाव की तैयारी कर रही है। कांग्रेस का लक्ष्य है कि वह 288 विधानसभा सीटों में से 110-115 सीटों पर चुनाव लड़े, जबकि शिवसेना को 90-95 सीटें और एनसीपी को 80-85 सीटें दी जाएं।
Haryana Election Effect: मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर मतभेद
सीट बंटवारे के अलावा, महाराष्ट्र में एमवीए के भीतर एक और प्रमुख मुद्दा मुख्यमंत्री पद की दावेदारी है। शिवसेना (UBT) चाहती है कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जाए, जबकि कांग्रेस इस पर सहमत नहीं है। कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में सर्वाधिक सीटें जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी ठोंक दी है। कांग्रेस का तर्क है कि पार्टी की राज्यव्यापी उपस्थिति और लोकसभा में उसके बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए मुख्यमंत्री पद उसकी ओर से होना चाहिए।
हालांकि, सोमवार को कांग्रेस नेतृत्व और महाराष्ट्र के नेताओं की बैठक में इस पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि गठबंधन को मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा प्रोजेक्ट करने की आवश्यकता नहीं है। पार्टी का मानना है कि फिलहाल एकजुटता से चुनाव लड़ने पर ध्यान देना चाहिए, बजाय इसके कि मुख्यमंत्री पद को लेकर किसी विवाद में उलझा जाए।
झारखंड में भी सीट बंटवारे पर चुनौती
महाराष्ट्र के अलावा झारखंड भी कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण राज्य है, जहां पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के साथ गठबंधन में है। पिछली बार के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 31 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 16 सीटें जीती थीं। JMM ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 30 सीटें जीती थीं।
हालांकि इस बार कांग्रेस अधिक सीटों की मांग कर रही है और 33 सीटों पर दावेदारी कर रही है। इसके पीछे पार्टी का तर्क है कि दो विधायक, एक भाजपा से और एक झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) से, कांग्रेस में शामिल हुए हैं। झारखंड की 81 विधानसभा सीटों पर 2 चरणों में वोटिंग होगी,जिसमें पहले चरण में 13 नवंबर ओर दूसरे चरण में 20 नवंबर को वोटिंग होगी जिसके परिणाम 23 नवंबर को आएंगे।
झारखंड में गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सीट बंटवारे को लेकर सहमति बनाना है। JMM ने बेहतर स्ट्राइक रेट के कारण अधिक सीटों की मांग की है, जबकि कांग्रेस अपनी दावेदारी पर जोर दे रही है। इस बार गठबंधन में CPI(ML) भी शामिल होने की उम्मीद है, जिसने पिछली बार 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक सीट जीती थी। इस बार उसके लिए भी सीटें तय करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
NDA का मुकाबला: भाजपा के खिलाफ महागठबंधन
महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव BJP और उसके सहयोगियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण हैं। हाल ही में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में जीत के बाद भाजपा ने अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। भाजपा ने हरियाणा में रिकॉर्ड तीसरी बार जीत हासिल की और जम्मू क्षेत्र में भी अपनी सीटों की संख्या में इजाफा किया।
कांग्रेस के लिए, यह चुनाव उस स्थिति को सुधारने का अवसर है जो उसने लोकसभा चुनावों के बाद बनाई थी। कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में वापसी की एक मजबूत कहानी गढ़ी थी, लेकिन हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हार ने उसके आत्मविश्वास को हिला दिया है। इन राज्यों में जीत पार्टी के लिए महत्वपूर्ण होगी ताकि वह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर दबाव बना सके, जो वर्तमान में जेडीयू और टीडीपी के समर्थन पर निर्भर है।
राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की कोशिश अब इन राज्यों में मजबूत प्रदर्शन करके राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने की है। खासकर महाराष्ट्र में, जहां पार्टी की व्यापक उपस्थिति है, कांग्रेस राज्य में सत्ता में वापसी के लिए पूरी तैयारी कर रही है।