Haryana Firecrackers: दिवाली पर हरियाणा में पटाखों पर समय-सीमा निर्धारित, जानें कहां मिलेगी ग्रीन पटाखों की अनुमति

Anita Khatkar
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Haryana Firecrackers: हरियाणा में त्योहारी सीजन के दौरान पटाखों की आतिशबाजी करने वाले लोगों के लिए प्रशासन ने विशेष दिशानिर्देश जारी किए हैं। बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से गुरुग्राम, फरीदाबाद और चंडीगढ़ प्रशासन ने इस बार दिवाली और अन्य विशेष मौकों पर पटाखों के उपयोग के लिए कड़े नियम लागू किए हैं।

Haryana Firecrackers: गुरुग्राम और फरीदाबाद में आतिशबाजी का समय निर्धारित

गुरुग्राम के उपायुक्त निशांत कुमार यादव के आदेशानुसार, जिले में पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। यह प्रतिबंध 22 अक्टूबर से अगले साल 31 जनवरी तक लागू रहेगा। इस दौरान बेरियम सॉल्ट युक्त पटाखों का उत्पादन, बिक्री और उपयोग पूरी तरह से वर्जित होगा। हालांकि, ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति होगी और दिवाली तथा गुरुपर्व के दिन रात 8 से 10 बजे के बीच ही ग्रीन पटाखों का प्रयोग किया जा सकेगा। इसी तरह क्रिसमस के अवसर पर 25 दिसंबर की रात को 11:55 से 12:30 बजे तक तथा नए साल पर रात 11:55 से 12:30 बजे तक ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति दी गई है।

चंडीगढ़ में ग्रीन पटाखों की बिक्री के लिए 96 अस्थाई स्टॉल

चंडीगढ़ प्रशासन ने भी वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से दिवाली के अवसर पर केवल ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति दी है। पटाखों की बिक्री के लिए शहर में 12 जगहों पर 96 अस्थाई स्टॉल लगाए जाएंगे, जहां से लोग ग्रीन पटाखे खरीद सकेंगे। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अस्थाई स्टॉलों के अलावा अन्य किसी जगह पर पटाखों की बिक्री नहीं की जा सकेगी और अवैध बिक्री पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। चंडीगढ़ में 29 अक्टूबर से पटाखों की बिक्री शुरू की जाएगी।

Haryana Firecrackers: दिवाली पर हरियाणा में पटाखों पर समय-सीमा निर्धारित, जानें कहां मिलेगी ग्रीन पटाखों की अनुमति
Haryana Firecrackers: दिवाली पर हरियाणा में पटाखों पर समय-सीमा निर्धारित, जानें कहां मिलेगी ग्रीन पटाखों की अनुमति

Haryana Firecrackers: वायु प्रदूषण पर नियंत्रण की ओर कदम

हरियाणा के इन शहरों में प्रशासन द्वारा पटाखों पर लगाए गए ये प्रतिबंध वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह नियम न केवल लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने में सहायक होंगे, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित रखने में योगदान देंगे।

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