Haryana News: हरियाणा में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में लगातार उछाल देखा जा रहा है। 15 सितंबर से 14 अक्टूबर 2024 के बीच राज्य में 468 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो पिछले सालों के मुकाबले सबसे अधिक हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 में इसी अवधि में 374 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि 2022 में यह संख्या केवल 102 थी।
कैथल में सबसे अधिक घटनाएं
पराली जलाने की घटनाओं के मामले में कैथल सबसे ऊपर है, जहां 75 घटनाएं दर्ज की गईं। इसके बाद कुरुक्षेत्र में 71, अंबाला में 51, करनाल 50 और जींद में 42 घटनाएं दर्ज की गई हैं। ये घटनाएं हरियाणा में बढ़ते प्रदूषण और आस पास के क्षेत्र की वायु गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं।
हर साल की है समस्या
हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान सितंबर और नवंबर के बीच धान की कटाई के बाद अपनी खेतों को नई फसल के लिए तैयार करने के लिए पराली जलाते हैं। इससे उत्पन्न धुआं दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण स्तर को खतरनाक रूप से बढ़ा देता है। इसी कारण, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत प्रतिबंध लागू कर दिए हैं, जिसमें निर्माण गतिविधियों पर नियंत्रण और मशीनीकृत सड़क सफाई की बढ़ोतरी शामिल है।
क्या कहते हैं जानकर
पराली जलाने की समस्या पर जानकारों का मानना है कि इस वर्ष बंपर फसल और पराली की गांठें बनाने वाली मशीनरी की अनुपलब्धता के कारण समस्या और बढ़ी है। छोटे किसान सामुदायिक संसाधनों पर निर्भर रहते हैं, जिससे पराली जलाना उनके लिए आसान विकल्प बन जाता है।अक्टूबर-नवंबर 2024 के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत में 15,000 से 18,000 आग लगने की घटनाओं की संभावना है।
अब तक ये रहे हैं सरकारी प्रयास
हरियाणा सरकार लगातार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रयासरत है। इस साल राज्य में 38.9 लाख एकड़ में धान की खेती की गई, जिससे 81 लाख टन फसल अवशेष उत्पन्न हुआ। हालांकि, सरकारी सब्सिडी पर उपलब्ध मशीनें जैसे हैप्पी सीडर और मल्चर, पराली जलाने के बजाय अवशेष प्रबंधन में सहायता कर सकती हैं, लेकिन सभी किसानों तक इनकी पहुंच अभी भी एक चुनौती है। इसके अलावा पराली ना जलाने पर 1000 रूपये प्रति एकड़ दिए जाने का भी प्रावधान है ।
सरकार का कहना है कि पराली जलाने की घटनाओं में धीरे-धीरे कमी आ रही है, लेकिन यह वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए पर्याप्त नहीं है। 2023 के खरीफ सीजन में लगभग 2,300 आग की घटनाएं दर्ज की गईं, जो पिछले सालों के मुकाबले कम हैं, लेकिन अभी भी समस्या का समाधान करने के लिए और अधिक कदम उठाने की आवश्यकता है।
पराली जलाना हर साल की तरह इस बार भी हरियाणा के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, सरकार, किसानों और समाज के सभी हिस्सों को मिलकर इसके समाधान के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने होंगे।