Highcourt Verdict: नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शहर में आवारा कुत्तों और बंदरों के आतंक से निपटने के लिए सख्त कदम उठाते हुए शुक्रवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी आवारा बंदरों को असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित किया जाए। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ दिव्यांग व्यक्तियों पर आवारा पशुओं द्वारा किए गए हमलों से जुड़े एक मामले पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इस समस्या के तत्काल समाधान की मांग की गई थी।
Highcourt Verdict: बैठक बुलाकर बनाई जाएगी ठोस रणनीति
अदालत ने दिल्ली के मुख्य सचिव को चार नवंबर को एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाने का भी निर्देश दिया है, जिसमें नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC), दिल्ली नगर निगम (MCD), दिल्ली छावनी बोर्ड और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा होगी। इस बैठक का उद्देश्य आवारा कुत्तों और बंदरों की समस्या के लिए एक ठोस समाधान तैयार करना है। कोर्ट ने बैठक में दिल्ली पशु कल्याण बोर्ड, दिल्ली सरकार के पशुपालन विभाग और भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के साथ-साथ याचिकाकर्ताओं के वकील राहुल बजाज, अमर जैन और कार्यकर्ता गौरी मौलेखी को भी उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं।
Highcourt Verdict: दिव्यांगों की समस्याएं वास्तविक, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम जरूरी
अदालत ने इस मुद्दे की गंभीरता पर जोर देते हुए कहा कि समाज में विभिन्न समूह होते हैं, जिनमें दिव्यांग व्यक्ति भी शामिल हैं। उनका जीवन सुरक्षित होना आवश्यक है। पीठ ने कहा, दुनिया में कहीं भी ऐसा नहीं देखा गया कि किसी शहर पर बंदरों और कुत्तों का पूरी तरह कब्जा हो। इन आवारा पशुओं के साथ भी सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए, लेकिन इंसानों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए।
Highcourt Verdict: शहर की सड़कों पर सुरक्षित माहौल की मांग
अदालत ने व्यवस्था सुधारने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि दिव्यांग और आम नागरिकों को आवारा पशुओं से किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए। लोग सड़कों पर सुरक्षित रूप से चल सकें, इसके लिए एक सुदृढ़ व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 18 नवंबर तय की गई है।
दिल्ली उच्च न्यायालय एनजीओ धनंजय संजोगता फाउंडेशन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें दृष्टिबाधित याचिकाकर्ता राहुल बजाज ने शहर में आवारा कुत्तों और बंदरों की समस्या से निपटने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था।