ISRO Eos 08 Satellite : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। आज सुबह श्रीहरिकोटा से इसरो ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV-D3) की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस मिशन के तहत EOS-08 सैटेलाइट को प्रक्षेपित किया गया, जो कि एक महत्वपूर्ण अर्थ ऑब्जर्विंग सिस्टम (EOS) मिशन है। यह सैटेलाइट बाढ़, ज्वालामुखी, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं की सटीक जानकारी देने के साथ-साथ वैश्विक निगरानी में भी मदद करेगा।
EOS-08 सैटेलाइट: आपदाओं पर सटीक निगरानी
EOS-08 सैटेलाइट को माइक्रोसैट/IMS-1 बेस पर बनाया गया है, जिसका मिशन काल लगभग एक वर्ष है। यह उपग्रह 175.5 किलोग्राम वजनी है और 420 वॉट तक बिजली उत्पन्न करने में सक्षम है। SSLV-D3/IBL-358 प्रक्षेपण यान की मदद से इसे लॉन्च किया गया है। इस उपग्रह में तीन मुख्य पेलोड्स शामिल हैं:
पेलोड का नाम | मुख्य उद्देश्य |
इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इन्फ्रारेड (EOIR) | दिन और रात में इन्फ्रारेड तस्वारों को कैद करना |
ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री (GNSS-R) | मिट्टी की नमी और समुद्री सतह की हवाओं की जांच |
सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) UV डोसिमीटर | अंतरिक्ष मिशनों में विकिरण सुरक्षा की निगरानी |
आपदा प्रबंधन और सुरक्षा में नई उन्नति :
EOS-08 का प्रमुख पेलोड EOIR दिन और रात दोनों समय मिड-वेव और लॉन्ग-वेव इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम में तस्वारों को कैद करने में सक्षम है। इस तकनीक का उपयोग उपग्रह आधारित निगरानी, आपदा और पर्यावरणीय निगरानी, जंगल की आग का पता लगाने और औद्योगिक आपदाओं का आकलन करने के लिए किया जाएगा।
वहीं, GNSS-R पेलोड रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह समुद्र की सतह की हवाओं की निगरानी, हिमालयी क्षेत्र में क्रायोस्फीयर का अध्ययन और बाढ़ व जल स्रोतों का पता लगाने में मदद करेगा। इसके अलावा, SiC UV डोसिमीटर गगनयान मिशन के क्रू मॉड्यूल में पराबैंगनी विकिरण की निगरानी करेगा और गामा विकिरण के उच्च स्तर पर अलार्म सेंसर के रूप में भी कार्य करेगा, जिससे अंतरिक्ष मिशनों में सुरक्षा बढ़ेगी।
भारत का अंतरिक्ष बाजार में मजबूत कदम :
इसरो का यह मिशन सिर्फ एक सैटेलाइट लॉन्च तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिए भारत ने छोटे उपग्रहों को लॉन्च करने के वैश्विक बाजार में भी कदम रख दिया है। इसरो की यह सफलता भारतीय इंडस्ट्री और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगी।
इसरो के मुताबिक, EOS-08 सैटेलाइट के जरिए उपग्रह-आधारित निगरानी में एक महत्वपूर्ण उन्नति हुई है। इस मिशन में एकीकृत एवियोनिक्स सिस्टम की शुरुआत की गई है, जो कि उपग्रह के मेनफ्रेम सिस्टम में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है।
ISRO EOS 08 Satellite: भारत के स्पेस सेक्टर में नई क्रांति :
इसरो का EOS-08 सैटेलाइट लॉन्च भारत के स्पेस सेक्टर में एक नई क्रांति का प्रतीक है। आपदा प्रबंधन, वैश्विक निगरानी और अंतरिक्ष सुरक्षा में यह सैटेलाइट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस मिशन के जरिए इसरो ने न सिर्फ भारतीय स्पेस सेक्टर को मजबूत किया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी धाक जमाई है।
आगे चलकर इस तरह के मिशन भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक मजबूती प्रदान करेंगे और भारतीय स्पेस इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे।