Jind assambly : जींद विधानसभा चुनाव 2024 : कांग्रेस की फूट सार्वजनिक, अपनों के साथ को तरसते रहे कांग्रेस प्रत्याशी, बिखराव ने दी करारी हार, भाजपा साध गई जातीय समीकरण

Jind assambly : वर्ष 2024 के विधानसभा चुनावी परिणाम ने जहां कांग्रेस की फूट को फिर से सार्वजनिक कर दिया है, वहीं भाजपा की चुनाव रणनीति बेहतर प्रबंधन को दिखाया है। जिला के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस व भाजपा के प्रदर्शन में यही अंतर दिख रहा है। जहां कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में अपनों का ही साथ नहीं मिला, वहीं भाजपा जातीय समीकरण को साधने में सफल रही। इसके बल पर ही जिला की पांच में से चार सीट जीतने में सफल रही।

जुलाना विधानसभा क्षेत्र (Julana assembly constituency )
जुलाना विधानसभा क्षेत्र में बेशक भाजपा को हार मिली है, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी को भी काफी मत मिले हैं। जुलाना विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के कैप्टन योगेश को नामांकन के अंतिम दिन से एक दिन पहले ही टिकट मिला और उन्होंने पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र में अपनी टीम व संगठन के साथ चुनाव प्रचार किया। वहीं कांग्रेश की विनेश फोगाट जुलाना क्षेत्र के बख्ताखेड़ा गांव में शादीशुदा हैं।

ऐसे में विनेश फोगाट को 65080 व कैप्टन योगेश को 59065 मत मिले। पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े परमेंद्र ढुल को 37749 ही मत मिले थे। क्षेत्र में नया होने के बावजूद यहां भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है। भाजपा को सिर्फ 6015 मतों से ही हार मिली है। हालांकि शुरू में भाजपा के भी कुछ नेता बाहरी व्यक्ति को टिकट देने के विरोध में थे, लेकिन यह सभी चुनाव में साथ लगे।

जींद विधानसभा क्षेत्र (Jind assembly constituency)
जींद विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस प्रत्याशी को अपनों से साथ नहीं मिल पाया। दरअसल जींद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट के लिए 46 नेताओं ने आवेदन किया था। वहीं कांग्रेस के महावीर गुप्ता क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे। इसके बावजूद उन्हें टिकट देने में कांग्रेसी नेताओं में रोष रहा। कोई भी नेता दिल से महावीर गुप्ता के साथ नहीं जुड़ पाया।

चुनाव के दौरान भी कांग्रेसी नेता अनदेखी व योजनाओं में शामिल नहीं करने का आरोप लगाते रहे। ऐसे में यह सीट कांग्रेस नहीं जीत पाई। दूसरी ओर भाजपा के डा. कृष्ण मिढ़ा को भी पार्टी के कुछ नेताओं का साथ शुरूआती दौर में नहीं मिला, लेकिन सामने महावीर गुप्ता के आने से भाजपा के नेता मजबूरी में ही सही पार्टी के साथ लगे।

नरवाना में बंटा जाट वोट, बेदी को मिला फायदा (Narwana assembly constituency)
नरवाना विधानसभा क्षेत्र से साल 2009 व 2014 में इनेलो और 2019 में जजपा जीती थी। इस आरक्षित सीट पर जाट मतदाताओं की परिणाम तय करने में अहम भूमिका रहती है। इस बार नरवाना में हुए त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस व इनेलो में जाट मतदाता बंट गए। जिसका फायदा भाजपा प्रत्याशी कृष्ण बेदी को मिला। यहां कांग्रेस ने विद्या रानी दनौदा की टिकट काट कर सतबीर दबलैन को दी।

कांग्रेस से बागी विद्या रानी दनौदा को इनेलो ने टिकट दे दी। जिसका कांग्रेस को नुकसान हुआ। नरवाना में कांग्रेस का टिकट रणदीप सुरजेवाला के हिस्से आया था। रणदीप गुट का प्रत्याशी होने के चलते सतबीर दबलैन के चुनाव प्रचार में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा नहीं आए। रणदीप सुरजेवाला की भी चुनाव प्रचार के दौरान सक्रियता कम रही।

सफीदों में कांग्रेस को हरा भाजपा ने चौंकाया (Safido assembly constituency)
सफीदों विधानसभा क्षेत्र की सीट को कांग्रेस सुरक्षित मान कर चल रही थी। भाजपा के रामकुमार गौतम बाहरी होने के कारण क्षेत्र में कभी भी प्रचार में प्रभावशाली नहीं दिखे। हालांकि सफीदों में भाजपा के पास नेताओं की बड़ी टीम रही, लेकिन यहां त्रिकोणीय मुकाबले में आने के कारण भाजपा आसानी से सीट निकाल ले गई।

कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष गांगोली देशवाल गौत्र से हैं और दूसरी ओर भाजपा नेता रहे पूर्व विधायक जसबीर देशवाल ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा। ऐसे में यहां मुकाबला त्रिकोणीय होने के कारण भाजपा को सीधा लाभ मिला। यहां भी भाजपा गैर जाट मतदाता के आधार पर जातीय समीकरण साधने में सफल रही। हालांकि सफीदों में कांग्रेस नेता एक जुट रहे, लेकिन यहां भाजपा की एकजुटता काम आई।

उचाना की हाट सीट पर मतों के बंटवारे से खिला कमल (Hot Seat Uchana assembly constituency)
उचाना विधानसभा सीट पर सभी की नजर रही। हालांकि यह सीट पिछले चुनाव जजपा की रही और इस बार जजपा के टिकट पर पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने लड़ा। दुष्यंत चौटाला को पहले ही मुकाबले से बाहर माना जा रहा था और परिणाम भी इसी के अनुरूप आए। यहां भाजपा ने नए चेहरे देवेंद्र अत्री को टिकट देकर बीरेंद्र सिंह व चौटाला परिवार के बीच मजबूत दस्तक दी।

वहीं कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़े विरेंद्र घोघड़ियां के प्रदर्शन पर ही चुनाव परिणाम टिका हुआ था। विरेंद्र घोघड़ियां ने 31456 मत लिए और तीसरे स्थान पर रहे। यहां भी विरेंद्र घोघड़ियां के मजबूत होने से जाट वोट में बंटवारा हुआ और इसका सीधा लाभ भाजपा को हुआ।

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