Jind Ground report : जींद विधानसभा चुनाव के लिए भाग्य विधाता मतदाता ने अपना फैसला ईवीएम में बंद कर दिया है। अब आठ अक्टूबर को मतगणना होने के बाद ही उम्मीदवारों के भाग्य का परिणाम पता चलेगा। इस दौरान जिला की पांचों विधानसभा सीट पर ग्राउंड रिपोर्ट (Jind Ground report) जानने के लिए हमारी टीम धरातल पर पहुंची। हालांकि जिला की पांचों विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी नजदीकी है, ऐसे में किसी भी उम्मीदवार की हार-जीत का अनुमान लगाना मुशकिल है।
जींद व जुलाना विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा-कांग्रेस के बीच आमने-सामने का मुकाबला है। पिछले विधानसभा चुनाव में पांच में से तीन सीट जीतने वाली जजपा इस बार पांचों विधानसभा क्षेत्रों में मुकाबले से बाहर दिखाई दी। कभी लोकदल का गढ़ रहे जींद जिला में इस बार इनेलो पिछले चुनाव के मुकाबले बेहतर स्थिति में तो आ सकती है। मतदान केंद्रों पर भी जजपा व इनेलो कार्यकर्ताओं में उत्साह नजर नहीं आया।
उचाना : भाजपा-कांग्रेस के बीच निर्दलीय बना रहे समीकरण (Uchana Ground Report)
उचाना प्रदेश की हाट विधानसभा सीट में शामिल है। ऐसे में इस पर सभी की नजर लगी हुई है। उचाना में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है। यहां पिछले 15 साल से बीरेंद्र सिंह व चौटाला परिवार के बीच ही मुकाबला रहा है। अब भाजपा ने नए चेहरे के रूप में देवेंद्र अत्री को मैदान में उतारा तो नए समीकरण बने।
वहीं कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय उम्मीदवार विरेंद्र घोघड़ियां भी चुनाव लड़े। विरेंद्र घोघड़ियां सही रूप में पंचायती उम्मीदवार के रूप में चुनाव में डटे रहे और उचाना के चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। आम तौर पर निर्दलीय का चुनाव कुछ दिन के लिए ही चढ़ता है लेकिन विरेंद्र घोघड़ियां का चुनाव एक बार भी नीचे नहीं आया और वह मुकाबले में डटे रहे।
यहां कांग्रेस से पूर्व सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। उनका गांव डूमरखां कलां भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है। वहीं विरेंद्र घोघड़ियां गांव भी क्षेत्र के बड़े गांवों में शुमार है। उनके गांव में हालांकि ग्रामीणों ने एकतरफा समर्थन देने का वादा किया था, लेकिन दूसरे राजनीतिक दलों के नजदीकी लोग यह वचन नहीं निभा पाए। इसके साथ ही लगते कसूहन गांव से भाजपा के उम्मीद देवेंद्र अत्री आते हैं। उनके गांव में भी लोग उनके पक्ष में मिले। उचाना में कांग्रेस व भाजपा के बीच होने वाले मुकाबले का परिणाम निर्दलीय विरेंद्र घोघड़ियां तय करेंगे।
जुलाना : भाजपा-कांग्रेस के बीच टक्कर (Julana Ground Report)
सोनीपत व रोहतक जिलों से सटे जुलाना विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला रोचक है। हालांकि चुनाव शुरू होते समय जब कांग्रेस ने अंतरराष्ट्रीय पहलवान विनेश फोगाट को मैदान में उतारा तो कांग्रेसियों में बहुत उत्साह था। वहीं भाजपा ने यहां से कैप्टन योगेश को उम्मीदवार बनाया। शुरूआत में विनेश फोगाट को स्थानीय कांग्रेसी नेताओं का खासा साथ मिला। वहीं शुरूआती चुनाव प्रचार में जुलाना में भाजपा पिछड़ती नजर आ रही थी।
मतदान तक आते-आते भाजपा ने अपने आप को संभाला और बहुत मजबूत किया। अब दोनों उम्मीदवारों के बीच कांटे का मुकाबला है। हालांकि भाजपा उम्मीदवार के लिए जुलाना क्षेत्र नया होने के कारण उन्हें क्षेत्र में पकड़ बनाने में काफी समय लगा। इस असर चुनाव परिणाम पर भी दिख सकता है। जुलाना में जातीय समीकरण भी बहुत प्रभावी रहे।
सफीदों : अंतिम समय में बदले समीकरण, त्रिकोणीय हुआ मुकाबला (Safidon Ground Report)
भाजपा की ओर से नारनौंद के पूर्व विधायक रामकुमार गौतम को उम्मीदवार बनाया तो इस सीट पर सभी की नजर लग गई। वहीं कांग्रेस ने यहां वर्तमान विधायक सुभाष गांगोली को उम्मीदवार बनाया है। सफीदों के चुनाव में दोनों प्रत्याशियों के बीच निर्दलीय प्रत्याशी जसबीर देशवाल ने चुनावी बढ़त बनाई। इसका असर सफीदों के चुनाव परिणाम पर जरूर पड़ेगा।
जसबीर देशवाल भाजपा से टिकट मांग रहे थे और टिकट कटने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। कांग्रेस के सुभाष गांगोली पहले भी विधायक हैं और इस बार कांग्रेस के पक्ष में वातावरण होने का लाभ उनको मिल रहा है। वहीं भाजपा के पास सफीदों में सबसे बड़ी नेताओं की टीम रही। ऐसे में भाजपा ने जमीनी स्तर पर काफी अच्छी तैयारी की। अब सफीदों का मुकाबला त्रिकोणीय होने से दोनों प्रत्याशी अपने-अपने पक्ष में समीकरण बैठा रहे हैं।
जींद : प्रत्याशियों से नाराजगी का दिखा मतदान पर असर (Jind Ground Report)
जींद विधानसभा क्षेत्र में हालांकि शुरूआत चुनावी माहौल में भाजपा एकतरफा बढ़त में रही, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ा, कांग्रेस अपना प्रदर्शन सुधारती रही। हालांकि जींद विधानसभा सीट पर दिन भर मतदाताओं की भीड़ नहीं रही। इस पर लोगों ने बताया कि कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार उनकी पसंद के नहीं हैं। इसका कारण है कि लोग उत्साह से मतदान के लिए नहीं आ रहे। फिर भी पुरानी पेंशन योजना जैसे मुद्दों पर कांग्रेस बढ़त लेती नजर आई।
वहीं जींद से भाजपा प्रत्याशी डा. कृष्ण मिढ़ा इससे पहले 2019 के उपचुनाव व फिर आम चुनाव में दो बार विधायक बन चुके हैं। उनके पिता डा. हरिचंद मिढ़ा भी लगातार दो बार जींद के विधायक रहे। वे अपने विकास कार्यों व कार्यशैली के नाम पर मतदाताओं के बीच गए। मतदान आते-आते जींद विधानसभा सीट पर चुनाव कड़े मुकाबले में फंस गया है। हालांकि काफी कांग्रेसी महावीर गुप्ता को टिकट मिलने के कारण चुनाव में सक्रिय नजर नहीं आए।
नरवाना में इनेलो, भाजपा व कांग्रेस के बीच मुकाबला (Narwana Ground Report)
नरवाना आरक्षित विधानसभा सीट भी भाजपा ने पूर्व मंत्री व सरकार में अपनी खास पैठ रखने वाले कृष्ण बेदी को उतार कर नए समीकरण बना दिए। वहीं नरवाना से इनेलो ने इस बार कांग्रेस के टिकट पर दो बार चुनाव लड़ चुकी विद्या रानी चुनाव लड़ रही हैं। विद्या रानी दनौदा गांव की बहू हैं, जो क्षेत्र में काफी प्रभावशाली है।
वहीं नरवाना में कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला का भी खास प्रभाव है। इसके बावजूद यहां कांग्रेस 2009 के बाद से जीत नहीं पाई है। 2009 में जब से नरवाना आरक्षित हुआ है, कांग्रेस के लिए चुनौती बना हुआ है। इस बाद भी तीनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है, लेकिन मुख्य मुकाबला इनेलो की विद्यारानी व भाजपा के कृष्ण बेदी के बीच ही देखा जा रा है।