Jind Politics: जींद : चुनाव प्रचार अब जोरों पर चल रहा है। जींद विधानसभा सीट पर लगातार दो बार विधायक बन चुके भाजपा के डा. कृष्ण मिढ़ा व कांग्रेस के महावीर गुप्ता के बीच सीधा मुकाबले की संभावना दिख रही है, लेकिन कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रदीप गिल भी बड़ी चुनौती बन रहे हैं।
Jind Politics:भाजपा के डा. कृष्ण मिढ़ा ने 2019 का उप चुनाव व इसके बाद सामान्य चुनाव जीत कर लगातार दो बार विधायक बने हैं। इससे पहले लगातार दो बार जीत कर उनके पिता डा. हरिचंद मिढ़ा इनेलो से विधायक रहे। ऐसे में मिढ़ा परिवार लगातार चार बार से विधायक है। मिढ़ा ने ही पहली बार जींद में कमल खिलाया। ऐसे में अब डा. मिढ़ा पर यह सीट बचाने का दबाव है तो, कांग्रेस 2005 के बाद से जींद सीट नहीं जीत पाई है।
अब कांग्रेस पर दोबारा से जींद (Jind Politics) की सीट पर कब्जा करने के लिए प्रयासरत है। दोनों उम्मीदवारों के बीच बेशक सीधा मुकाबला है, लेकिन जींद सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को मिलने वाले वोट ही चुनाव परिणाम तय करेंगे। दरअसल कांग्रेस का टिकट पाने के लिए जींद विधानसभा क्षेत्र से 46 नेताओं ने आवेदन किया था। अब टिकट कटने के बाद इनमें से अधिकतर नेता कांग्रेस के प्रचार व उम्मीदवार से दूरी बनाए हुए हैं।
ऐसे में चुनाव से पहले ही कांग्रेस में बिखराव बड़ी चुनौती बन रही है। दूसरी ओर, इन्हीं दावेदारों में से एक प्रदीप गिल भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस को ग्रामीण क्षेत्र से काफी आस है और इसी क्षेत्र में प्रदीप गिल (pardeep gill) काफी प्रचार कर रहे हैं। यह भी कांग्रेस के समक्ष चुनौती है। जींद विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात की जाए तो यह सीट भी जाट बहुल है। कुल 203721 मतदाताओं वाले जींद विधानसभा क्षेत्र में करीब सवा लाख शहरी मतदाता हैं।
Jind Politics:ऐसे में सभी उम्मीदवार शहरी मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने पर सबसे अधिक फोकस कर रहे हैं। हालांकि शहर के साथ लगते गांवों में भाजपा व कांग्रेस पुराने आंकड़ों के हिसाब से गणित बैठा रहे हैं, लेकिन इनमें जजपा, इनेलो व आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भी नए समीकरण बना रहे हैं।
Jind Politics:शहरी समीकरण रहा है भारी
जींद विधानसभा क्षेत्र में हुए 13 विधानसभा आम चुनाव में आठ बार अग्रवाल समाज से विधायक बने हैं। वहीं एक बार पिछड़ा वर्ग व एक बार जाट समुदाय के विधायक बने। 2009 में इनेलो ने नए समीकरण साधते हुए पंजाबी समुदाय के डा. हरिचंद मिढ़ा को मैदान में उतारा और तब से अब तक इसी परिवार से विधायक बने हैं।
जींद विधानसभा क्षेत्र में शहरी समीकरण भारी रहे हैं। अब तक शहरी क्षेत्र से ही विधायक बने हैं। हालांकि 1987 का चुनाव अपवाद रहा और प्रोफेसर परमानंद विधायक बने। प्रोफेसर परमानंद मूल रूप से शहर से सटे हुए अहिरका गांव से ही रहे। उन्होंने जींद शहर में ही शिक्षण कार्य किया।
कांग्रेस को दोहरी चुनौती
कांग्रेस लंबे समय से जींद में सत्ता से बाहर रही है। 2009 के बाद अभी तक वापसी नहीं कर पाई है। दूसरा कांग्रेस का संगठन नहीं है। वहीं टिकट के दावेदार भी तक पार्टी प्रत्याशी के साथ नहीं आए हैं। इसके अलावा एक दावेदार निर्दलीय भी चुनाव लड़ रहा है। कांग्रेस में संगठन के नाम पर अलग- अलग नेताओं के अपने कार्यकर्ता हैं। वे नेता ही चुनाव में नहीं हैं तो कार्यकर्ता भी साथ नहीं आ रहे। चुनाव से पहले कांग्रेस के जो नेता मैदान में काम कर रहे थे, अब वे शांत बैठे हैं।