Kajal heri turtles village: फतेहाबाद: हरियाणा के फतेहाबाद जिले में स्थित काजल हेड़ी गांव कछुओं के कारण खास पहचान बना चुका है। इस गांव में कछुओं की उम्र 200 से 400 साल तक हो सकती है और यह सुनने में आया है कि ताली बजाने पर ये कछुए पानी से बाहर आ जाते हैं। आइए जानते हैं क्या है इन कछुओं की सच्चाई।
Kajal heri turtles village: ताली बजाने पर बाहर आते हैं कछुए
गांव के नाथ मंदिर के तालाब में पाए जाने वाले कछुए ताली सुनते ही बाहर आ जाते हैं, जिससे यहां दूर-दूर से पर्यटक उन्हें देखने आते हैं। गांव वालों का मानना है कि तालाब में 200 साल से अधिक उम्र के कई कछुए मौजूद हैं। ये कछुए बिस्किट और रोटी खाते हैं ।
Kajal heri turtles village: दूध पीने की अफवाह
कई लोगों का कहना है कि ये कछुए भैंसों का दूध पीते हैं, लेकिन गांव के लोग इसे महज अफवाह और झूठ मानते हैं। कुछ लोगों ने अफवाह फैला रखी है कि तालाब में केवल दूध ना देने वाली भैंसों को ही नहलाने लाया जाता है। लेकिन जब गांव के लोगों से पता किया तो ये सब झूठी बाते बताई गई। गांव और आस पास के लोग बताते हैं कि ये सब झूठ है। गांव के मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग इन कछुओं की देखभाल करते हैं और उन्हें खाना देते हैं।
Kajal heri turtles village: कछुओं की सुरक्षा और संरक्षण
गांव में नाथों का एक पुराना मंदिर है, जहां कछुओं के संरक्षण की जिम्मेदारी मंदिर के पुजारी और गांव के लोगों पर है। लोगों का मानना है कि कछुओं की सुरक्षा के लिए चारदीवारी बनाई जाए और उचित सुरक्षा व्यवस्था की जाए।
Kajal heri turtles village: कछुओं को बंदरों का खतरा
लोग बताते हैं कि बंदरों से कछुओं को खतरा होता है, क्योंकि ये बंदर कछुओं को परेशान करते हैं। इसके समाधान के लिए उपाय खोजने की आवश्यकता है। आसपास के लोगों का कहना है कि गांव को सरकार से ज्यादा मदद नहीं मिल रही है और वे अपनी ओर से कछुओं की देखभाल कर रहे हैं।
Kajal heri turtles village: कछुओं की गिनती और संरक्षण के प्रयास
गांव के तालाब में 132 कछुओं की गिनती की जा चुकी है। वैसे कुछ लोग बताते हैं कि काजल हेड़ी गांव के इस तालाब में 250 के करीब कछुए हैं। सामान्य यह गांव बिश्नोई समाज का माना जाता है । बिश्नोई समाज के लोग जीवों की रक्षा में अग्रणी माने जाते हैं और काजल हेड़ी गांव के लोग भी इस परंपरा को बनाए रखने में लगे हुए हैं। तालाब के सौंदर्यीकरण और कछुओं के रखरखाव में स्थानीय थर्मल कंपनी का भी सहयोग मिलता है।
काजल हेड़ी गांव की कहानी कछुओं के प्रति गांववालों की संवेदनशीलता को दर्शाती है। जबकि कछुओं के दूध पीने की बात सिर्फ एक मिथक है, गांव के लोग उनकी रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। यह गांव न केवल कछुओं की अनोखी परंपरा का गवाह है, बल्कि यह जीवों की रक्षा के प्रति हमारी जिम्मेदारी का भी प्रतीक है।