Kangana Ranaut On Kisan Bills: बॉलीवुड अभिनेत्री और हिमाचल प्रदेश से सांसद कंगना रनौत ने एक बार फिर अपनी तीखी बयानबाजी से राजनीतिक हलचल मचा दी है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच कंगना के तीन कृषि कानूनों को वापस लागू करने की मांग ने भाजपा के लिए नए विवाद का रास्ता खोल दिया है।
कंगना ने एक जिला स्तरीय मेले के दौरान यह बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि इन कानूनों को फिर से लागू किया जाना चाहिए। उनके इस बयान ने न केवल विपक्ष, बल्कि खुद भाजपा के भीतर भी असंतोष की लहर पैदा कर दी है।
Kangana Ranaut On Kisan Bills: कंगना के बयान से शुरू हुआ विवाद
बीते 23 सितंबर को हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के ख्योड़ में आयोजित नलवाड़ मेले के समापन समारोह में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कंगना ने तीन कृषि कानूनों की फिर से वापसी की बात कही। उन्होंने कहा, किसानों के जो कानून थे, वे किसानों के हित में थे और उन्हें फिर से लागू किया जाना चाहिए। यह भले ही एक विवादित मुद्दा हो, लेकिन किसान भाइयों की समृद्धि के लिए जरूरी है।
कंगना के इस बयान ने राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी है, खासकर जब विपक्ष ने इसे भाजपा के खिलाफ एक मुद्दा बना लिया है। विपक्षी दलों ने इस बयान को किसानों के खिलाफ बताया और भाजपा पर निशाना साधा।
Kangana Ranaut On Kisan Bills: विपक्ष ने साधा निशाना, अकाली दल ने की कड़ी प्रतिक्रिया
कंगना के इस बयान के बाद सबसे तीखी प्रतिक्रिया पंजाब के शिरोमणि अकाली दल से आई। पार्टी के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह कलेर ने कंगना के बयान की निंदा करते हुए कहा कि भाजपा को तुरंत कंगना रनौत से दूरी बनानी चाहिए। कलेर ने कहा, कंगना को भाजपा से निकाल देना चाहिए और उनके खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगाना चाहिए।
यह बयान उस वक्त आया है जब पंजाब और हरियाणा में कृषि कानूनों को लेकर किसानों की नाराजगी अभी भी ताजा है। शिरोमणि अकाली दल, जो खुद भाजपा के पूर्व सहयोगी रह चुके हैं, ने कंगना के इस बयान को किसानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया।
Kangana Ranaut On Kisan Bills: भाजपा के नेताओं ने भी दी प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों के अलावा, भाजपा के अंदर भी इस मुद्दे को लेकर नाराजगी देखी जा रही है। भाजपा के सीनियर नेता हरजीत ग्रेवाल ने कंगना से अपील की है कि वह पंजाब, सिखों और किसानों के बारे में बयानबाजी बंद करें। उन्होंने कहा “मैं इस मुद्दे को पार्टी के हाईकमान के सामने उठाऊंगा। हमें किसानों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।”
Congress On Kisan Bills: कांग्रेस का पलटवार: काले कानून वापस नहीं आएंगे
हरियाणा कांग्रेस ने भी कंगना के बयान को लेकर भाजपा पर निशाना साधा। कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, कांग्रेस किसानों के साथ है। इन काले कानूनों की वापसी अब कभी नहीं होगी। चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सांसद जितनी भी कोशिश कर लें।
यह बयान भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है, खासकर हरियाणा में जहां विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। कांग्रेस ने किसानों के मुद्दे को लेकर भाजपा को पहले भी घेरा है और अब कंगना के बयान ने इसे फिर से जीवित कर दिया है।
Kangana Ranaut On Kisan Bills: पहले भी दे चुकी हैं विवादित बयान
यह पहली बार नहीं है जब कंगना रनौत ने कृषि कानूनों को लेकर विवादित बयान दिया हो। इससे पहले भी वह किसान आंदोलन के दौरान कई बार विवादों में रही हैं। पिछले महीने कंगना ने कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में हिंसा, रेप और मर्डर जैसी घटनाएं हो रही थीं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि यदि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं होता, तो पंजाब को बांग्लादेश बना दिया जाता। इस बयान ने भी पंजाब और हरियाणा के किसानों को नाराज कर दिया था। यहां तक कि भाजपा ने भी उस वक्त कंगना के बयान से पल्ला झाड़ लिया था।
Kangana Ranaut On Kisan Bills: कैसे बढ़ी थी किसानों की नाराजगी?
2020 में केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को लागू किया था, जो किसानों और सरकार के बीच एक बड़ा विवाद बन गए। 5 जून 2020 को केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए इन कानूनों को पेश किया था। सितंबर 2020 में लोकसभा और राज्यसभा दोनों से ये बिल पास हो गए थे, लेकिन इसके बाद से ही किसानों ने इसका विरोध शुरू कर दिया।
किसानों को आशंका थी कि इन कानूनों के लागू होने से मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली भी समाप्त हो जाएगी। इससे बड़ी कंपनियां फसलों की कीमतें तय करने लगेंगी, जिससे किसानों का नुकसान होगा।
Kisan Aandolan: किसान आंदोलन: एक ऐतिहासिक संघर्ष
कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब और हरियाणा के किसानों ने सबसे पहले मोर्चा खोला। 25 नवंबर 2020 को किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन की शुरुआत की और हजारों की संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच गए। इसके बाद 14 महीनों तक चले इस आंदोलन में किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। आखिरकार 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।
29 नवंबर 2021 को संसद में ध्वनिमत से बिना किसी चर्चा के इन कानूनों को वापस ले लिया गया। इसके बाद 11 दिसंबर को किसान नेताओं ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की और दिल्ली बॉर्डर पर विजय दिवस मनाया गया।
Kangana Ranaut On Kisan Bills: कंगना के बयान के पीछे की सियासत
कंगना रनौत का बयान ऐसे वक्त में आया है जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और भाजपा को किसानों के मुद्दे पर पहले से ही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विपक्ष ने कंगना के इस बयान को भाजपा के खिलाफ हथियार बना लिया है और अब भाजपा को इस मुद्दे पर सफाई देनी पड़ रही है।
कंगना ने यह भी कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन, देश के विकास के लिए जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को खुद आगे आकर इन कानूनों की वापसी की मांग करनी चाहिए।
कंगना रनौत का तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग का बयान न केवल भाजपा के लिए सिरदर्द बना है, बल्कि विपक्ष के लिए भी एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। Kisan bills के चलते पहले ही भाजपा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, और अब कंगना के इस बयान ने इस मुद्दे को फिर से ताजा कर दिया है।
देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में भाजपा इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और कंगना के बयान से उपजे विवाद को कैसे संभालती है।
BKU Ramphal kandela on kangna ranaut : भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामफल कंडेला ने कहा कि कंगना रानौत को कृषि कानूनों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वह सिर्फ मीडिया में आने, लाइम लाइट में रहने और अपने आकाओं को खुश करने के लिए इस तरह के बयान दे रही है। भारतीय किसान यूनियन इसका पुरजाेर विरोध करती है।
रामफल कंडेला ने कहा कि ये कृषि कानून अच्छे हैं या बुरे हैं, इस बारे में कंगना को किसी तरह की नालेज ही नहीं है। अगर कंगना कृषि कानून लागू करने की बात कह रही है तो इसके फायदे तो बताए। पहले भी किसानों के प्रति इस तरह के बयान कंगना दे चुकी है। वह इसकी निंदा करते हैं।