Land mutation farmers: दिल्ली के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण समाचार आया है। लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना ने घोषणा की है कि लगभग 2 लाख किसानों को सीधे 2 लाख रुपये का लाभ मिलेगा। यह फैसला किसानों की लंबे समय से चली आ रही समस्या को हल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
Land mutation farmers: भूमि म्यूटेशन में बदलाव
लेफ्टिनेंट गवर्नर ने दिल्ली के 100 शहरीकृत गांवों के किसानों के लिए भूमि म्यूटेशन के नियमों में बदलाव की घोषणा की है। इससे अब किसानों को उनकी कृषि भूमि पर विरासत के आधार पर मालिकाना हक प्राप्त होगा। पहले के नियमों के तहत, किसानों को अपने भूमि मालिकाना हक के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
Land mutation farmers: म्यूटेशन प्रक्रिया की शुरुआत
वीके सक्सेना के इस फैसले से दिल्ली के 2 लाख किलोमीटर भूमि पर सीधे प्रभाव पड़ेगा। म्यूटेशन का काम आज से 12 गांवों में शुरू हो चुका है। इसके लिए गांवों में विशेष शिविर लगाए जाएंगे, जहां जिला मजिस्ट्रेट (DM) और उप जिला मजिस्ट्रेट (SDM) इस प्रक्रिया की देखरेख करेंगे। इसके अलावा, दिल्ली के सांसदों को भी इन शिविरों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।
Land mutation farmers: 14 साल बाद मिला यह अवसर
दिल्ली के किसानों के लिए यह एक ऐतिहासिक मौका है, क्योंकि कृषि भूमि के लिए म्यूटेशन की प्रक्रिया पिछले 14 सालों से, अर्थात 2010 से, बंद थी। इस कारण कई किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था, क्योंकि वे अपनी भूमि के मालिक होते हुए भी उस पर लोन नहीं ले सकते थे।
Land mutation farmers: समस्या का समाधान
किसानों को होने वाली कठिनाइयों के बारे में बताते हुए, एलजी वीके सक्सेना ने कहा कि जब किसी किसान का निधन होता था, तब उनके बच्चों को अपनी भूमि का नामांकन कराने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब, शिविरों के माध्यम से इस प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा, जिससे किसानों को अपनी भूमि का स्वामित्व प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
दिल्ली में किसानों के लिए Land mutation नियम न केवल उनके अधिकारों को मजबूत करेगा, बल्कि उनके जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा। भूमि म्यूटेशन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद, दिल्ली के 100 गांवों के लगभग 2 लाख किसानों को उनकी कृषि भूमि पर विरासत के आधार पर मालिकाना हक प्राप्त होगा। यह फैसला किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है और उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
आपको बता दें कि दिल्ली में केंद्र के फैसले एलजी ही देखते हैं।