Cheque Bounce Escape : चेक बाउंस की घटनाएं आजकल आम हो गई हैं, लेकिन इसका सीधा असर वित्तीय स्थिति के साथ-साथ कानूनी परेशानियों पर भी पड़ता है। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (NI Act) की धारा 138 के तहत, यदि किसी व्यक्ति का चेक बाउंस हो जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, इस प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण है चेक बाउंस का लीगल नोटिस भेजना। यह नोटिस चेक देने वाले व्यक्ति को सूचित करता है कि उसका चेक बाउंस हो गया है और उसे बकाया राशि का भुगतान करना है।
चेक बाउंस: क्या है लीगल नोटिस और इसका महत्व ?
जब किसी व्यक्ति द्वारा दिया गया चेक बैंक में प्रस्तुत किया जाता है और वह अपर्याप्त धनराशि, गलत हस्ताक्षर, या अन्य कारणों से बाउंस हो जाता है, तो चेक प्राप्तकर्ता को सबसे पहले एक लीगल नोटिस भेजना होता है। इस नोटिस में उसे सूचित किया जाता है कि उसके द्वारा जारी किया गया चेक बाउंस हो गया है और उसे दिए गए चेक की धनराशि तुरंत भुगतान करनी चाहिए।
यदि चेक देने वाला व्यक्ति नोटिस के बाद भी भुगतान नहीं करता है, तो चेक प्राप्तकर्ता कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकता है। धारा 138 के तहत, चेक बाउंस के मामलों में नोटिस भेजने की प्रक्रिया और समय सीमा का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
नोटिस भेजने की प्रक्रिया और समय सीमा
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 (बी) के अनुसार, यदि चेक बाउंस होता है, तो चेक प्राप्तकर्ता को 30 दिनों के भीतर चेक देने वाले व्यक्ति को लिखित नोटिस भेजना अनिवार्य है। इस नोटिस में चेक बाउंस होने के कारण का उल्लेख करना जरूरी होता है, साथ ही चेक देने वाले से भुगतान की मांग की जाती है।
नोटिस मिलने के बाद, चेक देने वाले व्यक्ति को 15 दिनों का समय दिया जाता है जिसमें वह बकाया राशि का भुगतान कर सकता है। यदि 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता, तो चेक प्राप्तकर्ता 30 दिनों के भीतर संबंधित अदालत में मामला दायर कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय और नोटिस की वैधता
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में यह स्पष्ट किया है कि यदि चेक बाउंस का लीगल नोटिस सही पते पर भेजा जाता है, तो इसे कानूनी रूप से मान्य माना जाएगा। भले ही चेक देने वाला व्यक्ति दावा करे कि उसे नोटिस नहीं मिला या उसे खाली लिफाफा मिला, अदालत में यह तर्क मान्य नहीं होगा। ऐसे में, चेक बाउंस होने पर कानूनी कार्रवाई के लिए संभावनाएं मजबूत हो जाती हैं।
कौन-कौन हो सकते हैं कानूनी कार्रवाई के दायरे में ?
यदि चेक बाउंस होता है, तो नोटिस उस व्यक्ति, कंपनी या फर्म को भेजा जाता है जिसने चेक जारी किया है। यदि चेक किसी कंपनी द्वारा जारी किया गया है, तो उसके डायरेक्टर्स, पार्टनर्स या मैनेजर्स को भी इस कानूनी प्रक्रिया के दायरे में लाया जा सकता है।
अगर आपको नोटिस मिले तो क्या करें ?
यदि आपके द्वारा जारी किया गया चेक बाउंस हो गया है और आपको लीगल नोटिस मिला है, तो सबसे पहले आपको 15 दिनों के भीतर भुगतान करना चाहिए। ऐसा न करने पर मामला अदालत तक जा सकता है, जिसमें आपको चेक की राशि के साथ कानूनी खर्च और ब्याज भी चुकाना पड़ सकता है।
चेक बाउंस के मामलों में क्या सावधानी बरतें ?
चेक बाउंस की कानूनी प्रक्रियाएं सख्त हैं और इनमें फंसे बिना निकलना मुश्किल हो सकता है। सही समय पर नोटिस का जवाब देकर और भुगतान करके आप कानूनी कार्रवाई से बच सकते हैं। चेक बाउंस के मामले में, लीगल नोटिस का महत्व बहुत अधिक होता है।
समय पर सही कदम उठाकर और कानूनी प्रक्रियाओं को समझकर आप अपने वित्तीय और कानूनी अधिकारों की सुरक्षा कर सकते हैं। अगर आपका चेक बाउंस हो गया है, तो समझदारी से काम लें और कानूनी नोटिस का उचित जवाब दें ताकि आप कानूनी झंझटों से बच सकें।