mastitis : पशुओं में थनैला रोग का घर में ही पारंपरिक तरीके से ऐसे कर सकते हैं इलाज

Sonia kundu
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mastitis: जींद : पशुपालन एवं डेयरी विभाग उपनिदेशक डा. सुरेंद्र आर्य ने पशुओं में आने वाली थनैला (mastitis) समेत दूसरी बीमारियों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि दुधारू पशुओं में थनैला रोग आमतौर पर ठीक पशु प्रबंधन न होने की वजह से होता है और इलाज में देरी करने पर इसमें फिर संक्रमण भी हो जाता हैं। पारंपरिक पशु चिकित्सा के जरिए हम थनैला रोग को घर पर ही इलाज करके ठीक कर सकते हैं।

mastitis effective home remedies for animal husbandry
mastitis effective home remedies for animal husbandry

पारंपरिक पशु चिकित्सा द्वारा थनैला (mastitis) रोग को ठीक करने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री हमारे घर पर ही या घर के आसपास ही उपलब्ध होती हैं। यह दवाइ पशुपालकों को घर पर ही रोजाना ताजा तैयार करनी है और उसी दिन उसको इस्तेमाल कर लेना हैं। हमें प्रतिदिन 250 ग्राम ग्वारपाठा यानी एलोवेरा, 50 ग्राम हल्दी पाउडर या साबूत, 15 ग्राम चुना चाहिए। 250 ग्राम एलोवेरा का कांटे वाला हिस्सा निकालकर उसे मिक्सी में डालकर पेस्ट बना ले, इसके पश्चात उसमें 50 ग्राम हल्दी और 50 ग्राम चुना भी मिला दें।

इस प्रकार एक गहरी लाल रंग का पेस्ट हमारे पास तैयार हो जाएगा। लगभग 200 मिलीलीटर पानी इसमें मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर ले। प्रभावित थन एवं लेवटी अच्छी तरह से साफ कर ले और यह लेप पूरी लेवटी पर लगा दें। थोड़ी देर में पशु के थनों में दूध उतर आएगा। थनों को खाली कर लें और इसके बाद फिर से लेप लगा दें। इस प्रक्रिया को 8 से 10 बार दोहराएं और इस मिश्रण को उसी दिन खत्म कर लें। हर बार लेप लगाने से पहले थनों को  (mastitis) खाली करना बहुत जरूरी हैं।

यह प्रक्रिया तीन से पांच दिन तक इसी प्रकार दोहराएं। इसके साथ प्रतिदिन पशु को दो नींबू भी खिलाएं। अगर पशु के दूध का रंग लाल हो गया है तो दो मुट्ठी करी पत्ता और 150 से 200 ग्राम गुड़ भी पशु को प्रतिदिन एक खुराक के हिसाब से खिलाए। डा. सुरेंद्र आर्य ने बताया कि इसके साथ-साथ निम्न बातों का भी ध्यान रखें कि पशु के थानों को गर्म पानी से न धोए बल्कि वातावरण के हिसाब से उपलब्ध ताजा पानी का ही इस्तेमाल करें।

पशु का दूध निकालने से पहले और बाद में थनों  (mastitis) को अच्छी तरह से धोकर साफ कर दें। पशु की लेवटी पर गोबर इत्यादि न लगने दें और उसे साफ रखें। पशु का दूध निकालते ही उसे तुरंत तालाब में न लेकर जाएं। पशु आवास को हमेशा साफ सुथरा रखें, गोबर और पानी के निकास का उचित प्रबंध रखें। कुशल प्रबंधन एवं रखरखाव द्वारा पशुओं का थनैला रोग से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।

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