Petrol Diesel Price: पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जल्द ही कटौती हो सकती है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत 2 फीसदी से अधिक गिरकर 71 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई, जबकि डब्लूटीआई 67 डॉलर प्रति बैरल के करीब आ गया। इस हफ्ते ब्रेंट क्रूड 4 फीसदी और डब्लूटीआई 5 फीसदी तक गिरा है।
ओपेक प्लस के बावजूद गिरावट
ओपेक प्लस देशों द्वारा उत्पादन में कटौती की समयसीमा बढ़ाए जाने के बावजूद कच्चे तेल की कीमतों में यह गिरावट देखने को मिली है। इसके पीछे मुख्य कारण अमेरिका में उत्पादन बढ़ने और अगले साल तेल सप्लाई में सरप्लस की संभावना है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक डिमांड के मुकाबले सप्लाई 10 लाख बैरल प्रति दिन अधिक हो सकती है।
डॉलर की मजबूती का असर
इस दौरान डॉलर में मजबूती आने के कारण भी तेल की कीमतों (oil prices india) पर दबाव बढ़ा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीत और नीतिगत अनिश्चितताओं के कारण डॉलर मजबूत हुआ है, जिससे तेल की कीमतों में गिरावट पहले से ओर भी तेज हुई है।
Petrol Diesel Price Cut: घरेलू कीमतों में कटौती की उम्मीदें बढ़ीं
सितंबर में जब कच्चे तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल के करीब थीं, तब पेट्रोलियम सचिव ने कहा था कि अगर कीमतें इसी स्तर पर रहती हैं, तो घरेलू खुदरा कीमतों में कटौती संभव है। हालांकि, बाद में मध्य-पूर्व संकट के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन ब्रेंट क्रूड कभी भी 82 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर नहीं गया।
एक्सपर्ट्स का अनुमान
विशेषज्ञों का मानना है कि अगले साल चीन में ऑयल की डिमांड घटने की संभावना और अमेरिका में उत्पादन बढ़ने से कीमतों में और गिरावट आ सकती है। यूबीएस ने अगले साल के लिए ब्रेंट क्रूड का औसत अनुमान 87 डॉलर प्रति बैरल से घटाकर 80 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है।
क्या होगा आम जनता को फायदा?
अगर कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा स्तर पर स्थिर रहती हैं, तो भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी की उम्मीद की जा सकती है। इससे आम जनता को राहत मिलेगी और महंगाई पर भी थोड़ा नियंत्रण होगा। फिलहाल, सबकी नजर तेल कंपनियों और सरकार के अगले कदम पर है।