Pundri Vidhansabha News: पुंडरी विधानसभा: बीजेपी का सूखा जारी, कांग्रेस और निर्दलीयों के बीच इस बार भी कड़ा मुकाबला

Pundri Vidhansabha News: हरियाणा के कैथल जिले की पुंडरी विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टि से एक दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है। यहां पिछले कई विधानसभा चुनावों से बीजेपी का खाता भी नहीं खुल पाया है, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा लगातार बना हुआ है। इस बार के चुनावी दंगल में भी 18 उम्मीदवार अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं। मौजूदा विधायक रणधीर सिंह गोलन, जो पिछली बार निर्दलीय चुनाव जीतकर बाद में बीजेपी के समर्थन में आए थे, इस बार एंटी-इनकंबेंसी का सामना कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि पुंडरी विधानसभा सीट का इतिहास और इस बार के चुनावी समीकरण कैसे हैं।

Pundri Vidhansabha News: पुंडरी का राजनीतिक इतिहास: छह चुनावों से निर्दलीयों का दबदबा

1967 में अस्तित्व में आई पुंडरी विधानसभा सीट ने हरियाणा की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। इस सीट पर कांग्रेस ने चार बार जीत दर्ज की है, लेकिन 1991 के बाद से पार्टी को यहां जीत नहीं मिल पाई है। 1991 में कांग्रेस के ईश्वर सिंह ने जनता पार्टी के माखन सिंह को हराकर यह सीट जीती थी। इसके बाद कांग्रेस का दबदबा कम होता गया और निर्दलीय उम्मीदवार लगातार विजयी होते रहे।

BJP के लिए यह सीट अब तक पूरी तरह से असफल रही है। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के उम्मीदवार वेदपाल एडवोकेट को करारी हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें मात्र 20,990 वोट मिले थे, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार रणधीर सिंह गोलन ने 41,008 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस के सतबीर भाना को 12,824 वोटों से हराया था। पिछले कुछ चुनावों से यहां निर्दलीयों का वर्चस्व बना हुआ है, और इस बार भी ऐसा ही नजर आ रहा है।

Pundri Vidhansabha News: जातिगत समीकरण,रोड मतदाताओं का वर्चस्व

Pundri Vidhansabh क्षेत्र में जातिगत समीकरण चुनावों में बड़ी भूमिका निभाते हैं। यहां पर रोड समाज की आबादी 60% से भी ज्यादा है, जबकि ब्राह्मण और जाट वोटर्स की भी अच्छी-खासी संख्या है। इस बार चुनावी मैदान में छह रोड उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं, जिनमें प्रमुख नाम रणधीर सिंह गोलन, सुल्तान जड़ौला, सुनीता बतान, नरेश कुमार फरल, प्रमोद चुहड और सतपाल जांबा शामिल हैं।

रोड समाज के अधिक उम्मीदवार होने के कारण वोटों के बंटवारे की आशंका बनी हुई है। रोड वोटों के विभाजन से इस बार के चुनाव में उम्मीदवारों के लिए कड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि किसे रोड समाज का समर्थन मिलता है और यह किस तरह से चुनावी नतीजों को प्रभावित करता है।

Pundri Vidhansabha News: रणधीर सिंह गोलन पर एंटी-इनकंबेंसी की मार

मौजूदा विधायक रणधीर सिंह गोलन ने 2019 में निर्दलीय चुनाव जीतकर बाद में बीजेपी को समर्थन दिया था। हालांकि, लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी से अपना समर्थन वापस ले लिया था। बीजेपी के साथ उनका जुड़ाव अब उनके लिए चुनावी मैदान में नुकसान का कारण बन सकता है। किसानों के खिलाफ उनके बयान और बीजेपी को समर्थन देने की वजह से उन्हें जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। इस बार गोलन की स्थिति कमजोर नजर आ रही है, और एंटी-इनकंबेंसी की वजह से उनके लिए जीत की राह मुश्किल हो सकती है।

Pundri Vidhansabha News: सतबीर भाना का पलड़ा भारी

इस बार निर्दलीय उम्मीदवार सतबीर भाना का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। पिछले चुनाव में वह कांग्रेस के उम्मीदवार थे, लेकिन इस बार उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। भाना का स्थानीय स्तर पर प्रभावी जनाधार है और उन्हें जनता का अच्छा समर्थन मिल सकता है। पिछले चुनाव में उन्होंने 28,184 वोट हासिल किए थे और अब वह इस बार जीत की उम्मीद में हैं।

Pundri Vidhansabha News: कांग्रेस और बीजेपी का प्रदर्शन

कांग्रेस ने इस बार सुल्तान जड़ौला को पुंडरी सीट से मैदान में उतारा है। जड़ौला का मुकाबला रणधीर सिंह गोलन और सतबीर भाना से है, लेकिन रोड वोटों के बंटवारे की संभावना को देखते हुए कांग्रेस के लिए यह चुनाव भी चुनौतीपूर्ण होगा। वहीं, बीजेपी ने इस बार सतपाल जांबा को टिकट दिया है, जो एक रोड उम्मीदवार हैं। हालांकि, बीजेपी के लिए यह सीट अभी तक जीतने की स्थिति में नहीं रही है, इसलिए सतपाल जांबा के लिए भी मुकाबला कठिन रहेगा।

Pundri Vidhansabha News: कड़ा मुकाबला, परिणाम अनिश्चित

पुंडरी विधानसभा सीट पर इस बार भी मुकाबला बेहद दिलचस्प नजर आ रहा है। रोड समाज के कई उम्मीदवार होने के कारण वोटों में बंटवारे की संभावना है, जिससे निर्दलीय उम्मीदवार सतबीर भाना को फायदा हो सकता है। कांग्रेस और बीजेपी के लिए भी यह सीट चुनौतीपूर्ण रहेगी। मौजूदा विधायक रणधीर सिंह गोलन पर एंटी-इनकंबेंसी का साया है, जिससे उनकी दावेदारी कमजोर नजर आ रही है।

कुल मिलाकर, Pundri Vidhansabha सीट पर इस बार भी परिणाम अनिश्चित है, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवारों का वर्चस्व कायम रहने की पूरी संभावना है।

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