Defence Exports Soared: रक्षा निर्यात में रिकॉर्ड तोड़ 78% की वृद्धि, आत्मनिर्भरता और ‘विकसित भारत’ की दिशा में बड़ा कदम

Defence Exports Soared : भारत के रक्षा निर्यात में वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में रिकॉर्ड 78% की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में हुई है। यह उछाल न केवल सरकार की नीतियों की प्रभावशीलता को दर्शाता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत की दिशा में देश के दृढ़ संकल्प को भी उजागर करता है।

 

Defence exports: रक्षा निर्यात में ऐतिहासिक वृद्धि

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में भारतीय रक्षा उद्योग ने जो सफलता हासिल की है, वह इतिहास में अपनी जगह बना चुकी है। जहां एक ओर देश में निर्मित रक्षा उत्पादों की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर घरेलू कंपनियों ने नए-नए बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत की है। इसका परिणाम यह हुआ कि देश के रक्षा निर्यात में 78% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

 

भारत सरकार की रणनीतियों का प्रभाव

इस अप्रत्याशित वृद्धि के पीछे सरकार की ओर से अपनाई गईं कई रणनीतियाँ और नीतियाँ प्रमुख भूमिका निभाती हैं। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अनेक सुधार किए गए हैं। इसके साथ ही, घरेलू रक्षा कंपनियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का भी कार्यान्वयन किया गया है।

Record breaking 78% growth in defense exports, a big step towards self-reliance and 'developed India'
Record breaking 78% growth in defense exports, a big step towards self-reliance and ‘developed India’

 

आत्मनिर्भर भारत अभियान:
सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा दिया गया है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसके तहत घरेलू कंपनियों को विदेशी प्रतिस्पर्धा का सामना करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सशक्त बनाया गया है।

 

वैश्विक बाजार में भारत की बढ़ती साख

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रक्षा उत्पादों की मांग में इस वृद्धि का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भारतीय कंपनियों ने न केवल गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि नवाचार के क्षेत्र में भी बड़े कदम उठाए हैं। आधुनिक तकनीकों के प्रयोग और अनुसंधान एवं विकास में निवेश ने भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने में मदद की है।

रक्षा निर्यात में हुई इस ऐतिहासिक वृद्धि ने भारत को एक नई दिशा में अग्रसर किया है। यह न केवल आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम का प्रमाण है, बल्कि ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है। इस तरह की निरंतर वृद्धि से न केवल रक्षा क्षेत्र में, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी भारत की वैश्विक साख में सुधार होगा।

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