Jind Zila Parishad Meeting : जींद जिला परिषद की बजट वितरण को लेकर आखिर पांचवीं बार हाउस की बैठक (Jind Zila Parishad Meeting) हो पाई और चेयरपर्सन मनीषा रंधावा को करीब 6.72 करोड़ रुपये के बजट के वितरण का अधिकार मिल गया। इस बैठक से पहले काफी हंगामा हुआ। चेयरपर्सन मनीषा रंधावा सहित उसके गुट के 18 सदस्य बैठक के लिए निर्धारित समय सुबह 11 बजे डीआरडीए के सभागार में पहुंच गए थे। सभी सदस्यों की रजिस्टर में हाजिरी भी लग चुकी थी।
उसी दौरान जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. किरण सिंह अपने कार्यालय से निकली और हाउस की बैठक की बजाय अपनी गाड़ी में बैठ कर कहीं जाने लगी। पार्षदों ने जब उन्हें जाते देखा, तो वे जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी की गाड़ी के आगे खड़े हो गए और वहां से नहीं जाने दिया। मुख्य कार्यकारी अधिकारी की तरफ से पार्षदों को बताया गया कि उन्हें किसी जरूरी बैठक के लिए जाना है। पार्षदों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि पहले भी चार बार बैठक स्थगित हो चुकी है और बजट का वितरण नहीं होने से उनके वार्डों में विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए वे पहले हाउस की बैठक में आएं। केवल 15 मिनट में ये बैठक हो जाएगी, उसके बाद चली जाएं।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी करीब 10 मिनट तक अपनी गाड़ी में ही बैठी रही और उनके सुरक्षा कर्मी ने पार्षदों को समझाते हुए गाड़ी के आगे से हटने के लिए कहा। पार्षदों ने स्पष्ट कहा कि जब तक बैठक नहीं हो जाती, वे गाड़ी को नहीं जाने देंगे। जब पार्षद अपनी जिद पर अड़े रहे, तो मुख्य कार्यकारी अधिकारी गाड़ी से उतरी और डीआरडीए सभागार में पहुंच कर बैठक शुरू करवाई। अकाउंट अधिकारी सतीश कुमार ने बैठक के एजेंडा को पढ़कर सुनाया। विभिन्न मदों से विकास कार्यों के लिए सरकार से मिले बजट के वितरण का अधिकार हाउस में उपस्थित सभी पार्षद व ब्लाक समिति प्रधानों ने सर्वसम्मति से चेयरपर्सन मनीषा रंधावा को दे दिया।
बैठक में जन संवाद कार्यक्रमों में ग्राम पंचायतों की तरफ से दिए कार्यों को जिला परिषद के बजट से करवाने का प्रस्ताव रखा गया। जिस पर पार्षद व ब्लाक समिति सदस्यों ने असहमति जताते हुए कहा कि उन्होंने जो काम दिए हुए हैं, उन्हीं पर ये बजट खर्च होना चाहिए। अगर किसी गांव में विकास कार्य करवाना है, तो ग्राम पंचायत की बजाय जिला पार्षदों के माध्यम से करवाया जाए। ये बैठक केवल 10 मिनट ही चली और उसके बाद मुख्य कार्यकारी अधिकारी वहां से चली गई।
कहां कितना मिला बजट
राज्य वित्त आयोग से मिला बजट : 4 करोड़ 3 लाख 9 हजार 552 रुपये
केंद्र वित्त आयोग से मिला बजट : 1 करोड़ 54 लाख 90 हजार 771 रुपये (कहीं भी खर्च कर सकते हैं)
केंद्र वित्त आयोग से मिला बजट : 1 करोड़ 17 लाख 51 हजार 609 रुपये (पेयजल, सीवरेज व अन्य निर्धारित कार्यों पर ही खर्च की जा सकती है)
कब और क्यों स्थगित हुई चार बार बैठक
लोकसभा चुनाव के बाद करीब ढाई करोड़ रुपये के बजट के वितरण को लेकर पहली बार 28 जून को हाउस की साधारण बैठक बुलाई गई। मुख्य कार्यकारी अधिकारी की तबीयत खराब होने का हवाला देकर बैठक स्थगित कर दी गई। उसके बाद 12 जुलाई को दोबारा बैठक बुलाई, उसको भी प्रशासनिक कारण बता कर स्थगित कर दिया गया। तीसरी बार 15 जुलाई को विशेष बैठक बुलाई। कोरम अधूरा रहने से बैठक नहीं हो पाई। विशेष बैठक में हाउस के कुल 40 सदस्यों में 20 सदस्यों का उपस्थित होना जरूरी था। केवल 19 सदस्य ही पहुंच पाए थे। चौथी बार 30 जुलाई को बैठक बुलाई। चेयरपर्सन गुट के पार्षद और ब्लाक समिति प्रधान पहुंच गए। लेकिन तभी प्रशासनिक कारणों से बैठक स्थगित किए जाने का मुख्य कार्यकारी अधिकारी की तरफ से पत्र जारी कर दिया गया।
बजट वितरण का अधिकार पाने की लगी थी होड़
मनीषा रंधावा जजपा के समर्थन से चेयरपर्सन बनी थी। वहीं वाइस चेयरमैन सतीश हथवाला भाजपा गुट से हैं। भाजपा-जजपा का गठबंधन टूटने के बाद से ही जिला परिषद में भी खींचतान शुरू हो गई। बजट वितरण का अधिकार पाने को लेकर दोनों ही गुटों में होड़ लगी हुई थी। वाइस चेयरमैन गुट ने चेयरपर्सन को पद से हटाने के लिए भी प्रयास किया था। लेकिन चेयरपर्सन के पास पार्षदों का बहुमत होने से उनकी कुर्सी सुरक्षित रही। चेयरपर्सन खेमे का आरोप है कि बार-बार बैठकें सरकार के ही दबाव में स्थगित हो रही थी। जिला परिषद हाउस में 24 पार्षद, आठ ब्लाक समिति प्रधान, तीन सांसद और पांच विधायक हैं।
सत्य की हुई जीत : चेयरपर्सन
चेयरपर्सन मनीषा रंधावा ने कहा कि आखिर सत्य की ही जीत हुई है। विरोधी खेमा नहीं चाहता था कि ये बैठक हो और गांवों में विकास कार्य हों। इसी वजह से बार-बार बैठक स्थगित करवाई जा रही थी। सोमवार को भी वे बैठक नहीं होने देना चाहते थे। लेकिन वे अपनी चाल में कामयाब नहीं हो सके। पहले लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगने से काम नहीं हो रहे थे। उसके बाद करीब डेढ़ माह तक विरोधी खेमे ने विकास में रोड़ा अटकाया।
चेयरपर्सन किसी हड़बड़ाहट में थी, जल्दबाजी में की बैठक
वाइस चेयरमैन सतीश हथवाला ने कहा कि वे जब तक डीआरडीए सभागार में पहुंचे, तब तक बैठक खत्म हो चुकी थी। चेयरपर्सन को पता नहीं क्या हड़बड़ाहट थी, उन्होंने जल्दबाजी में बैठक की और कुछ ही मिनट में प्रस्ताव पास कर दिए। ऐसा लगता है, उन पर कांग्रेस का दबाव था। बैठक में ना तो पिछली बैठकों में स्वीकृत हुए कार्यों को लेकर चर्चा हुई। ना ही वार्डों से संबंधित समस्याएं अधिकारियों के सामने रखने का पार्षदों को मौका मिला।