Safai Workers :चंडीगढ़: हरियाणा में महिला पार्ट-टाइम सफाईकर्मियों को स्थायी करते समय उन्हें सफाईकर्मी के साथ चौकीदार की जिम्मेदारी सौंपना और रात की ड्यूटी पर तैनात करना सरकार को भारी पड़ गया। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने महिला सफाईकर्मियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने आदेश दिया है कि महिला सफाईकर्मियों की रात की चौकीदारी की ड्यूटी तुरंत हटाई जाए और सरकार से इस मामले में जवाब तलब किया गया है।
दो दशक से कर रहीं सेवाएं
याचिका दायर करने वाली सीता देवी और अन्य महिला सफाईकर्मियों ने अपने
Advocate Jaswinder Saini
के माध्यम से कोर्ट को बताया कि वे बीते दो दशकों से हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पार्ट-टाइम सफाईकर्मी के रूप में सेवाएं दे रही थीं। हरियाणा सरकार की नियमितीकरण नीति के तहत उन्हें स्थायी कर दिया गया, लेकिन इसके साथ ही उन्हें सफाईकर्मी कम चौकीदार की जिम्मेदारी दे दी गई।
महिलाओं को रात में ड्यूटी पर तैनात करना अनुचित
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि महिला होते हुए उन्हें रात की चौकीदारी की जिम्मेदारी सौंपना न केवल अनुचित है, बल्कि यह हरियाणा सरकार की पॉलिसी के भी खिलाफ है। सरकार की नीति के अनुसार, किसी भी महिला कर्मचारी को रात की ड्यूटी पर तैनात नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, इस आदेश से उनका पारिवारिक जीवन भी प्रभावित हो रहा है और रात के समय स्कूलों में अकेले चौकीदारी करना उनकी सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करता है।
हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार
हाईकोर्ट की जस्टिस रितु बाहरी ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा कि महिलाओं को रात में चौकीदारी की जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय किस आधार पर लिया गया। कोर्ट ने इसे सरकार की नीतियों और महिला कर्मचारियों के अधिकारों के खिलाफ बताया।
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तत्काल प्रभाव से हटाई जाएगी रात की ड्यूटी
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलील सुनने के बाद आदेश दिया कि महिला सफाईकर्मियों की रात की ड्यूटी तुरंत प्रभाव से समाप्त की जाए। साथ ही, हरियाणा सरकार को इस मामले में विस्तार से जवाब देने का निर्देश दिया गया है।
महिला कर्मचारियों के अधिकारों पर जोर
इस मामले ने महिलाओं के कार्यस्थल पर अधिकारों और सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल महिला कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि सरकार को यह याद दिलाया है कि महिला कर्मचारियों की सुरक्षा और अधिकारों का सम्मान करना अनिवार्य है।