Haryana news: राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। डाक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और आवश्यक सुविधाओं की भारी कमी के बीच, अब यह खुलासा हुआ है कि अधिकारियों ने ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से दवाइयां खरीदीं, जिनमें कुछ कंपनियां गुजरात की भी हैं। इस गंभीर मुद्दे ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से दवा खरीद और अस्पतालों में समय पर दवाइयों की आपूर्ति न हो पाने के कारण राज्य के अस्पतालों में मरीजों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
Haryana news:राष्ट्रीय औसत से भी कम खर्च हुआ स्वास्थ्य बजट
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर कुल बजट का मात्र 6.37 प्रतिशत ही खर्च किया गया है, जबकि राष्ट्रीय औसत 8 प्रतिशत है। इससे साफ है कि स्वास्थ्य सेवाओं के विकास और रखरखाव में सरकार का योगदान अपर्याप्त रहा है। स्वास्थ्य संस्थानों में सुविधाओं का स्तर सुधारने के लिए न तो कोई पुख्ता योजना बनाई गई और न ही कर्मचारियों की कमी को भरने के प्रयास हुए।
Haryana news:डॉक्टरों और स्टाफ की भारी कमी, सुविधाओं का अभाव
प्रदेश में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ के 41,628 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 17,409 पद खाली पड़े हैं। स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के 63 प्रतिशत पद खाली हैं। राज्य के 24 अस्पतालों में से सात में आपातकालीन कक्ष और आठ अस्पतालों में आईसीयू नहीं हैं। प्राथमिक सुविधाओं का अभाव हेल्थ वेलनेस केंद्रों में भी देखा गया है, जो मरीजों के लिए जरूरी हैं।
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जरूरी दवाइयों की आपूर्ति में लापरवाही
स्वास्थ्य संस्थानों में दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी गंभीर लापरवाही बरती गई। रिपोर्ट से पता चलता है कि दवाइयों की मांग, आपूर्ति और उपलब्धता में कोई समुचित समन्वय नहीं है। यहां तक कि दवाइयों की जरूरत का आकलन और उनकी आपूर्ति की उचित योजना भी नहीं बनाई गई, जिससे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है।