Success of Story Zebox Owner : सुना है असफलताओं के संघर्ष में सफलता की कुंजी छुपी होती है, एक ऐसी ही सफलता की कहानी आज हम लेख माध्यम से पेश करने जा रहे हैं। अपने पिता के स्थापित व्यापारिक कारोबार में शुरुआती असफलताओं का सामना करने से लेकर अपने खुद के रिफर्बिश्ड मोबाइल फोन व्यवसाय की स्थापना तक, नीरज चोपड़ा की उद्यमशीलता की यात्रा में एक बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर की सभी खूबियां हैं- ड्रामा, असफलताएं, एक अनोखा आइडिया, और एक प्रभावशाली वापसी।
Zobox से किया स्टार्टअप
हमारे पाठकों को बता दें कि, आज जब हर किसी के हाथ में मोबाइल फोन यानी स्मार्ट फोन है, नीरज ने इसी डिवाइस को करोड़ों का व्यवसाय बना दिया। बिना किसी बड़े निवेश या मार्केटिंग के, उन्होंने एक स्टार्टअप शुरू किया जिसका नाम है Zobox, जो पुराने मोबाइल फोन को रिफर्बिश करता है और उन्हें फिर से बेचता है और यह सब पर्यावरण के अनुकूल तरीके से किया जाता है।

केवल तीन साल में 20 करोड़ का टर्नओवर
नीरज चोपड़ा नें केवल 3 साल में, Zobox के माध्यम से 20 करोड़ रुपये का टर्नओवर प्राप्त किया है। Zobox पर उपलब्ध मोबाइल फोन कई प्रसिद्ध ब्रांडों के होते हैं, जिससे हर ग्राहक के लिए कुछ न कुछ सुविधा अवश्य होता है। दिल्ली स्थित Zobox के संस्थापक नीरज ने Weekend Leader से कहा कि रिफर्बिश्ड मोबाइल फोन चुनने से हमारे ग्राहकों को पैसे बचाने का बेहत्तर अवसर मिलता है और साथ ही वे एक स्थायी फ्यूचर बनाने में योगदान देते हैं। हम पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देने और जिम्मेदार उपभोक्तावाद को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
नीरज का पारिवारिक जीवन और संघर्ष
बता दें कि, नीरज का जन्म दिल्ली के एक व्यापारी परिवार में हुआ था। नीरज के शुरुआती व्यवसायिक अनुभव संघर्ष और सीखने से भरे थे। उनके पिता, जो कीटनाशक और बीजों का व्यापार करते थे, बाद में दिल्ली के प्रसिद्ध ओल्ड लाजपत राय मार्केट में इलेक्ट्रॉनिक घटकों के थोक व्यापार में चले गए।

नीरज की शिक्षा
नीरज चौपड़ा ने 1998 में नेवल पब्लिक स्कूल, दिल्ली से अपनी कक्षा 12 की पढ़ाई पूर्ण की और इसके बाद नीरज ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज से बी.कॉम की पढ़ाई पूर्ण की। जब नीरज ने कॉलेज की पढ़ाई स्टार्ट की, तो उनके पिता ने उन्हें पारिवारिक व्यापार के तरीकों के बारे में सिखाने के लिए अपने साथ रख लिया।
यहां से संघर्ष शुरु हुआ
पाठकों को बता दें कि, वर्ष 2010 में अपने चाचा की मृत्यु के बाद, नीरज भारत लौट आए और पारिवारिक व्यवसाय में शामिल हो गए। बरहाल्, देश में काम करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। बाद में उन्होंने रियल एस्टेट और पावर बैंक जैसे क्षेत्रों में अपने खुद के लिए व्यवसाय़ स्टार्ट किए, मगर दोनों में नुकसान का सामना करना पड़ा।

मिला आईडिया और बदल गई जिंदगी
संघर्ष के दिनों में उन्होंने देखा कि जैसे Cars24 पुरानी कारों को फिर से बेचता है, वैसे ही मोबाइल फोन को भी मरम्मत और फिर से बेचा जा सकता है। इसी आइडिया ने Zobox की शुरुआत की, एक स्टार्टअप जो पुराने मोबाइल फोन की मरम्मत और रिफर्बिशिंग करता है और उन्हें सस्ते दामों पर बेचता है। इस तरह से नीरज के जिंदगी बदल गई और सफलता मिल गई।