सुप्रीम कोर्ट नें हाईकोर्ट का पलटा फैसला और दोबारा करवाई वोटों की गिनती, चुनाव के तीन साल बाद हारा हुआ प्रत्याशी बना सरपंच

Parvesh Malik
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SC Decision on Panipat Panchayat Election: हरियाणा में सरपंची के चुनाव करीब तीन वर्ष होने को है, मगर पानीपत बुआना लाखु गांव के सरपंची को लेकर ये विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। पाठकों को बता दें कि दो साल 10 माह पूर्व हुए सरपंच के चुनाव के रुझानों को सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने बदल दिया है।

 

कितने वोटों से जीत हुई?

सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम की दोबारा गिनती के बाद हारा हुआ प्रत्याशी 51 वोटों से विजयी होकर लौटा। जबकि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इस चुनाव में मतों की दोबारा गिनती कराने से इनकार कर दिया था, जिसके खिलाफ याचीकर्ता मोहित सुप्रीम कोर्ट गया।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दो माह में ही अपनी निगरानी में ईवीएम खुलवाई और आदेश भी सुना दिया। यह अपने तरह का देश का पहला मामला बताया जा रहा है। आज यानि 14 अगस्त को पानीपत जिले के इसराना बीडीओ कार्यालय में मोहित को बुआना लाखु के सरपंच पद की शपथ दिलाई गई।

कैसा हुआ विवाद

पाठकों को बता दें कि, 2 नवंबर 2022 को हुए ग्राम पंचायत चुनाव में एक अधिकारी की गलती से कुछ घंटे के लिए बुआना लाखू के दो सरपंच बन गए थे। पहले कुलदीप को सरपंच बनने का प्रमाणपत्र दिया गया था, लेकिन दोबारा मतगणना में मोहित को सरपंच घोषित कर दिया गया था, जिससे दोनों में विवाद खड़ा हो गया।

जबकि चुनाव अधिकारियों द्वारा दोनों को विजेता होने का प्रमाणपत्र भी दे दिया गया था। मगर पहले विजेता घोषित कुलदीप ने हार मानने से इनकार कर दिया। बुआना लाखु गांव में सरपंच पद के सात प्रत्याशी थे। इनमें से दो प्रत्याशी कुलदीप और मोहित में जबरदस्त मुकाबला था। चुनावों के समय गांव के बूथ नंबर 65, 66, 67, 68, 69 और 270 बनाए गए थे।

निर्वाचन अधिकारी से बूथ नंबर 69 पर गलती से परिणाम बदल गया। यहां मोहित को मिले वोट कुलदीप के खाते में जुड़ गए और कुलदीप के वोट मोहित के खाते में जुड़ गए। इसके बाद सभी बूथों के योग के आधार पर कुलदीप को विजयी घोषित कर दिया गया।

The Supreme Court overturned the High Court's decision and recounted the votes; three years after the election, the defeated candidate became the Sarpanch
The Supreme Court overturned the High Court’s decision and recounted the votes; three years after the election, the defeated candidate became the Sarpanch

जांच प्रणाली में क्या सच सामने आया

दोनों में विवाद को बढ़ते देखकर, चुनाव अधिकारियों के द्वारा जांच में सामने आया कि एक बूथ के पीठासीन अधिकारी की गलती से दोनों प्रत्याशियों के परिणाम के आंकड़ों में अदला-बदली हो गई थी। जब सभी बूथों का कुल योग किया गया तो विजेता हार गया और दूसरे नंबर पर रहने वाला प्रत्याशी जीत गया।

इसके बाद रिटर्निंग अधिकारी ने संशोधित परिणाम को अपडेट करते हुए मोहित को विजेता घोषित किया, मगर कुलदीप ने हार मानने से इनकार कर दिया था। क्योंकि उसे नियमानुसार उसे प्रमाणपत्र मिल चुका था। कुलदीप 12 नवंबर 2022 को हाई कोर्ट से स्टे ले आया। पहली जून 2025 को हाई कोर्ट ने दोबारा मतगणना कराने से साफ इनकार कर दिया और फैसला कुलदीप के पक्ष में दिया।

सुप्रीम कोर्ट नें हाई कोर्ट के फैसले को पलटा

दिलचस्प बात यह है कि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटकर मोहित के हक में फैसला सुनाया। दरअसल,  12 जून को मोहित ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 31 जुलाई को पहली सुनवाई हुई और 7 जुलाई को अपनी निगरानी में दोबारा मतगणना का आदेश दिया। 7 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में मतगणना हुई, जिसमें कुलदीप को 1 हजार और मोहित को 1051 वोट प्राप्त हुए।

इसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए 11 अगस्त की तारीख दी। 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एनके सिंह की पीठ ने मोहित को विजयी घोषित कर जिला प्रशासन को दो दिन में शपथ दिलाने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि ओएसडी (रजिस्ट्रार) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर संदेह करने का प्रथम दृष्टया कोई विशेष कारण नहीं है। विशेष रूप से जब पूरी पुनर्गणना की उचित रूप से वीडियोग्राफी की गई है। इस तरह मोहित के पक्ष में ये फैसला सुनाया गया।

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