K Natwar Singh : पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन: 93 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस , राजस्थान के भरतपुर से दिल्ली तक एक राजनयिक और राजनीतिक सफर

Parvesh Malik
By Parvesh Malik
Former Foreign Minister Natwar Singh passes away: breathed his last at the age of 93, a diplomatic and political journey from Bharatpur, Rajasthan to Delhi
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K natwar singh : पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नटवर सिंह का शनिवार रात 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले कुछ सप्ताह से गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। नटवर सिंह का निधन उनके परिवार और राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है।

 

K natwar singh का जीवन परिचय :

नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की, इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और चीन के पेकिंग विश्वविद्यालय का रुख किया। नटवर सिंह एक उत्कृष्ट राजनयिक थे, जिन्होंने भारतीय विदेश सेवा (IFS) में 1953 में प्रवेश किया।

 

K natwar singh : करियर और राजनीति में योगदान :

नटवर सिंह ने राजनयिक और राजनेता दोनों के रूप में उत्कृष्ट योगदान दिया। उन्होंने पाकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। 1966 से 1971 तक वे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे।

1984 में नटवर सिंह ने IFS से इस्तीफा देकर राजनीति में प्रवेश किया और राजस्थान के भरतपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता। इसके बाद, 1985 में उन्हें इस्पात, कोयला और खदानों, और कृषि विभाग का राज्य मंत्री (MoS) नियुक्त किया गया। 1986 में, उन्हें विदेश मामलों के राज्य मंत्री (MoS) का पदभार सौंपा गया।

Former Foreign Minister Natwar Singh passes away: breathed his last at the age of 93, a diplomatic and political journey from Bharatpur, Rajasthan to Delhi
Former Foreign Minister Natwar Singh passes away: breathed his last at the age of 93, a diplomatic and political journey from Bharatpur, Rajasthan to Delhi

K natwar singh का विदेश मंत्री के रूप में कार्यकाल :

2004-2005 में, नटवर सिंह ने यूपीए-I सरकार के दौरान भारत के विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और देश की विदेश नीति को नई दिशा दी। 1987 में, न्यूयॉर्क में आयोजित निरस्त्रीकरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में भी उन्हें चुना गया।

 

K natwar singh का लेखक जीवन और सम्मान :

नटवर सिंह ने अपने जीवन में लगभग दर्जन भर किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘द लेगेसी ऑफ नेहरू: ए मेमोरियल ट्रिब्यूट’, ‘माई चाइना डायरी 1956-88’, और उनकी आत्मकथा ‘वन लाइफ इज़ नॉट इनफ’ प्रमुख हैं। उनके राजनयिक और राजनीतिक करियर के लिए उन्हें 1984 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

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K natwar singh की अंतिम यात्रा :

नटवर सिंह की अंतिम यात्रा दिल्ली में आयोजित की जाएगी, जहां उनके परिवार के सदस्य और राजनीतिक सहकर्मी उन्हें अंतिम विदाई देंगे। उनके पुत्र जगत सिंह और अन्य परिवारजन उनके निधन के समय अस्पताल में मौजूद थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने नटवर सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया और उनके परिवार को इस दुख की घड़ी में संबल मिलने की कामना की।

नटवर सिंह का जीवन एक समृद्ध और प्रेरणादायक यात्रा थी, जिसमें उन्होंने राजनयिक, राजनेता और लेखक के रूप में अपनी छाप छोड़ी। उनकी मृत्यु से भारतीय राजनीति और विदेश नीति के क्षेत्र में एक बड़ी रिक्तता पैदा हो गई है। उनका योगदान और उनकी यादें आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।

 

natwar singh की प्रमुख पुस्तकों के लिए:

  • वन लाइफ इज़ नॉट इनफ
  • माई चाइना डायरी 1956-88

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