DDoS attack : आज के डिजिटल युग में साइबर अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं और उनमें से एक प्रमुख खतरा है DDoS अटैक। डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (DDoS) अटैक एक ऐसा साइबर हमला है जिसमें किसी ऑनलाइन सेवा को ठप करने के लिए उसे इंटरनेट ट्रैफिक से भर दिया जाता है। इसका उद्देश्य किसी वेबसाइट या सर्वर को सामान्य उपयोगकर्ताओं के लिए अस्थायी या स्थायी रूप से अनुपलब्ध करना होता है।
साइबर सुरक्षा कंपनी Fortinet के अनुसार, DDoS अटैक एक साइबर अपराध है जिसमें हमलावर किसी सर्वर को भारी मात्रा में इंटरनेट ट्रैफिक भेजकर उसे डाउन कर देते हैं, जिससे उपयोगकर्ता उस सेवा या वेबसाइट तक पहुंच नहीं पाते हैं।इस प्रकार के हमले का मुख्य उद्देश्य होता है किसी वेबसाइट या ऑनलाइन सेवा को निष्क्रिय करना, जिससे वह उपयोगकर्ताओं के लिए अनुपलब्ध हो जाती है।
कैसे काम करता है DDoS attack ?
DDoS अटैक में कई समझौता किए गए कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग किया जाता है, जिन्हें बॉटनेट के रूप में भी जाना जाता है। इन बॉटनेट्स को हमलावर द्वारा एक ही समय पर एक ही लक्ष्य पर भारी मात्रा में ट्रैफिक भेजने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस ट्रैफिक में कंप्यूटर, नेटवर्क डिवाइस और अन्य संसाधन शामिल हो सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, सर्वर पर भारी लोड पड़ता है और वह क्रैश हो जाता है या उपयोगकर्ताओं के लिए पूरी तरह से ब्लॉक हो जाता है।
आईटी सेवा प्रबंधन कंपनी Cloudflare के अनुसार, DDoS अटैक में, हमलावर द्वारा कई कंप्यूटर सिस्टम को एक साथ हैक किया जाता है और उन्हें लक्ष्य वेबसाइट पर ट्रैफिक भेजने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
डीडीओएस अटैक का प्रभाव और बचाव: Impact and prevention of DDoS attack
DDoS अटैक किसी भी व्यवसाय या व्यक्ति के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकता है। इससे न केवल वित्तीय नुकसान होता है, बल्कि ब्रांड की प्रतिष्ठा पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। इससे बचने के लिए साइबर सुरक्षा उपायों को सख्त करना और नेटवर्क ट्रैफिक पर लगातार निगरानी रखना आवश्यक है।
इस प्रकार के हमले का खतरा दिनोंदिन बढ़ रहा है, इसलिए डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक रहना बेहद जरूरी है। यदि आप भी ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग करते हैं, तो ऐसे हमलों से बचाव के लिए उचित साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाना चाहिए।