Diabetes Capital: नई दिल्ली: दुनियाभर में शुगर (डायबिटीज) की बीमारी तेजी से बढ़ रही है, और इसके मामले चौंकाने वाले स्तर पर पहुंच गए हैं। एक बार हो जाने पर जीवन भर के लिए परेशान करने वाली यह बीमारी अब भारत में भी महामारी का रूप ले चुकी है। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, 2022 में पूरी दुनिया में डायबिटीज से पीड़ित लगभग 82.8 करोड़ लोग थे, जिनमें से एक-चौथाई से अधिक भारतीय थे।
भारत में Diabetes के मामले लगातार बढ़ते हुए
विशेषज्ञों के अनुसार, 1990 से 2022 के बीच डायबिटीज के मामलों में चार गुना वृद्धि हुई है, खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में। 2022 में डायबिटीज के कुल 82.8 करोड़ मामलों में से करीब 21.2 करोड़ भारतीय मरीज थे। इसके बाद चीन में 14.8 करोड़ और अमेरिका, पाकिस्तान और ब्राजील में क्रमशः 4.2 करोड़, 3.6 करोड़ और 2.2 करोड़ मरीज दर्ज किए गए।
Diabetes Capital: बिना इलाज के बढ़ रही संख्या
अध्ययन में यह भी बताया गया है कि 2022 में लगभग 44.5 करोड़ डायबिटीज मरीज बिना किसी उपचार के थे, जिनमें 13.3 करोड़ से ज्यादा मामले भारत में सामने आए। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि डायबिटीज से पीड़ित और बिना इलाज के लोग स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जो भविष्य में अन्य बीमारियों के जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं।
Diabetes Capital: जीवनशैली में बदलाव और खानपान पर ध्यान जरूरी
इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि खासकर भारत जैसे देशों में डायबिटीज की रोकथाम के लिए जीवनशैली में बदलाव बेहद जरूरी है। अध्ययन ने वजन को नियंत्रित रखने, शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और संतुलित खानपान अपनाने पर जोर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि उचित जीवनशैली अपनाकर डायबिटीज के जोखिम को कम किया जा सकता है।
Diabetes Capital: कम आय वाले देशों में डायबिटीज का बढ़ता खतरा
रिपोर्ट में बताया गया है कि 1990 से लेकर 2022 तक कम और मध्यम आय वाले देशों में डायबिटीज के मामलों और इलाज की कमी ने इसे और गंभीर बना दिया है। डायबिटीज अब सिर्फ एक स्वास्थ्य समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक समस्या भी बन चुकी है।
जागरूकता और चिकित्सा सुविधाओं में सुधार का आह्वान
विशेषज्ञों ने डायबिटीज के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य सेवा में सुधार, उपचार की सुविधा और लोगों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है। इस अध्ययन के नतीजे जीवनशैली और खानपान में तुरंत सुधार की मांग करते हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इस घातक बीमारी से बचाया जा सके।