Haryana news : जीन्द में 20 सदस्यों का संयुक्त परिवार, 15 मतदाता वोटर, परिवार के सभी फैसले बड़े लेते हैं, लेकिन वोट अलग- अलग डालते हैं मुद्दों पर

जानें संयुक्त परिवार की कहानी

Haryana news : जींद : समाज में जहां एकल परिवारों का चलन बढ़ गया है। वहीं जिले के रूपगढ़ गांव (Roopgarh village) में देशराज का संयुक्त परिवार है। करीब 12 साल पहले देशराज का निधन हो चुका है। इसके बावजूद उनके दोनों बेटे कृष्ण और छज्जू इकट्ठे रहते हैं।

 

परिवार में कुल 20 सदस्य हैं। दोनों के ही तीन-तीन बेटे हैं। जिनमें से पांच बेटों की शादी हो चुकी है और उनके पांच बच्चे हैं। कृष्ण के बेटे संदीप अहलावत पिछली योजना में गांव के सरपंच भी रह चुके हैं। एक बेटा मोनू पुलिस में है। मोनू की पत्नी एसबीआइ में मैनेजर हैं। कृष्ण और छज्जू के पास कुल 61 एकड़ जमीन है। परिवार (Jind joint family) का मुख्य व्यवसाय खेती है।

 

पिता देशराज की मौत के बाद कृष्ण ही परिवार की लेनदेन की जिम्मेदारी संभालते हैं। कृष्ण ने कहा कि बचपन से ही हम दोनों भाइयों के बीच प्रेम रहा है। पिताजी भी हमेशा मेलजोल और भाइचारे के साथ रहने की प्रेरणा देते थे। सामाजिक कार्यों में उनकी रुचि थी। गांव में (Roopgarh joint family) स्कूल के लिए उन्होंने जमीन दान दी। मंदिर व अन्य धार्मिक कार्यों के लिए भी वे कभी दान देने से पीछे नहीं हटते थे। हम दोनों भाईयों के लड़कों में भी काफी प्रेम है।

 

परिवार कुल 15 मतदाता हैं, जो इस बार लोकसभा चुनाव में अपने मुद्दों के हिसाब से मतदान करेंगे। लोकसभा चुनाव में क्या मुद्दे हैं, कौन प्रत्याशी कैसा है। इसको लेकर परिवार के सदस्यों में चर्चा होती है। किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट देना है, इसको लेकर परिवार के किसी भी सदस्य पर बड़े सदस्यों ने थोपा नहीं है। सब अपने विवेक से मत का प्रयोग करेंगे।

मुद्दों पर होती है चर्चा

पूर्व सरपंच संदीप रूपगढ़ ने बताया कि परिवार के सभी फैसले हमारे बड़े ही लेते हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में सभी सदस्य अपने विवेक से वोट डालेंगे। परिवार के सदस्य जब शाम को इकट्ठा होते हैं, लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा होती है। महंगाई, रोजगार, कृषि व अन्य मुद्दों पर चर्चा भी होती है।

 

Haryana news : किसानी मुद्दों पर देंगे वोट

छज्जू ने कहा कि किसान होने के नाते उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा फसलों का समर्थन मूल्य ही है। जो समर्थन मूल्य मिल रहा है, वह लागत के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। जो भी पार्टी समर्थन मूल्य की गारंटी देगी और लागत के हिसाब से फसलों के भाव बढ़ाने का आश्वासन देगी, उसे वोट देंगे।

 

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