JJP MLA Resignations : जननायक जनता पार्टी (JJP) में पिछले कुछ दिनों से इस्तीफों की एक लहर सी आ गई है, जिससे पार्टी के भीतर अस्थिरता और नेतृत्व संकट की चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। 16 अगस्त 2024 को उकलाना से विधायक अनूप धानक के इस्तीफे के बाद, कुछ ही दिनों में तीन और विधायकों ने पार्टी से किनारा कर लिया।
शाहबाद से विधायक रामकरण काला, टोहाना से विधायक देवेंदर सिंह बबली और गुहला (कैथल) से विधायक ईश्वर सिंह ने भी पार्टी के सभी पदों और दायित्वों से इस्तीफा दे दिया है।
अनूप धानक के इस्तीफे के बाद लगी इस्तीफों की झड़ी:
16 अगस्त 2024 को उकलाना से विधायक अनूप धानक ने इस्तीफा देकर इस इस्तीफे की लहर की शुरुआत की। उन्होंने अपने पत्र में “निजी कारणों” का हवाला देते हुए पार्टी से इस्तीफा मांगा। धानक का इस्तीफा चौंकाने वाला था, क्योंकि वे जेजेपी के प्रमुख नेताओं में से एक थे और पार्टी की रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
रामकरण काला का इस्तीफा: एक और झटका
अनूप धानक के इस्तीफे के बाद, शाहबाद के विधायक रामकरण काला, जो हरियाणा शुगरफेड के पूर्व चेयरमैन भी रह चुके हैं, ने भी 16 अगस्त को ही इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “मैं निजी कारणों के चलते जननायक जनता पार्टी के सभी पदों और जिम्मेदारियों से इस्तीफा देता हूं।” रामकरण काला का इस्तीफा जेजेपी के लिए एक और बड़ा झटका था, क्योंकि वे संगठन में मजबूत पकड़ रखते थे।
देवेंदर सिंह बबली का इस्तीफा: सबसे बड़े चेहरे का अलविदा
17 अगस्त 2024 को टोहाना से विधायक देवेंदर सिंह बबली ने भी इस्तीफा देकर जेजेपी को हिला दिया। बबली, जेजेपी के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे, और उनका इस्तीफा पार्टी के लिए बड़े संकट का संकेत है। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा, “मैं जननायक जनता पार्टी के सभी पदों और जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहता हूं। कृपया मेरा इस्तीफा मंजूर किया जाए।”
गुलहा (कैथल) विधायक ईश्वर सिंह का इस्तीफा :
इस्तीफों की इस कड़ी में, गुलहा (कैथल) से विधायक ईश्वर सिंह का नाम भी शामिल हो गया है। 17 अगस्त को उन्होंने भी पार्टी से इस्तीफा सौंप दिया। ईश्वर सिंह हरियाणा विधानसभा की शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा समिति के चेयरमैन थे। उनके इस्तीफे के बाद पार्टी के अंदरूनी हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं।
क्या बीजेपी और जेजेपी गठबंधन टूटने के बाद बढ़े मतभेद?
जेजेपी और बीजेपी के बीच गठबंधन टूटने के बाद से ही जेजेपी के भीतर असंतोष और बगावत की सुगबुगाहटें सामने आ रही थीं। कई विधायकों ने खुले तौर पर नाराजगी जताई थी, जिससे पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े हुए। रामकुमार गौतम, जो पहले ही नारनौंद से विधायक हैं, ने भी पार्टी के भीतर गड़बड़ियों की ओर इशारा करते हुए दुष्यंत चौटाला पर कहा था ” खेल खत्म पैसा हजम,इब के है, 11 महकमे ले रया, खोपर एकला ए जिम रया है” ।
जेजेपी के लिए बढ़ती चुनौतियां: क्या कांग्रेस को होगा फायदा?
1 अक्टूबर 2024 को होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जेजेपी के सामने अब कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। लगातार हो रहे इस्तीफों से पार्टी की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन इस्तीफों का सीधा फायदा कांग्रेस को हो सकता है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस इन असंतुष्ट विधायकों को अपने पाले में खींचने का प्रयास कर सकती है। इसके अलावा, यह देखना दिलचस्प होगा कि ये विधायक भविष्य में कांग्रेस या बीजेपी में शामिल होते हैं या नहीं।
जेजेपी के लिए मुश्किल समय :
जेजेपी के लिए यह दौर संकट भरा साबित हो रहा है। प्रमुख नेताओं के इस्तीफे ने न सिर्फ पार्टी के आंतरिक ढांचे को हिला दिया है, बल्कि आगामी चुनावों के लिए भी पार्टी की संभावनाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना बाकी है कि जेजेपी इस संकट से कैसे निपटती है और आने वाले दिनों में क्या कदम उठाती है।