सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ पती-पत्नी शुरू किया ऐसा काम कि होने लगी लाखों की कमाई

Parvesh Malik
5 Min Read

Success Story of Couple : समाज में कुछ ऐसे भी लोग होते हैं बड़ी से बड़ी नौकरी छोड़कर अपने लिए अलग से स्टार्टअप करते हैं। वैसे तो काफी लोग नौकरी करते हुए अपनी जिंदगी गुजार देते हैं। मगर कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने और दूसरों के सपने पूरे करने के लिए नौकरी को दांव पर लगा देते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी शशिशेखर एस और तनुश्री की है। यह पती- पत्नी की जोड़ी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में थी। इन दोनों ने अपनी नौकरी त्याग दी। पाठकों को बता दें, अब वे पुराने बोर्ड गेम्स को फिर से पॉपुलर बना रहे हैं और लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं।

दरअसल, तनुश्री और शशिशेखर प्राचीन मंदिरों में जाते हैं। वहां दीवारों पर बने बोर्ड गेम के डिजाइन देखते हैं। फिर वे उन डिजाइनों को इको-फ्रेंडली बोर्ड गेम्स में चेंज करते हैं। ये गेम्स बच्चों को सोचने, प्रॉब्लम सॉल्व करने और भारतीय संस्कृति से जुड़ने में सहायक हैं।

कैसे आया इसका आइडिया?

पाठकों को बता दें कि, तनुश्री साल 2013 में मां बनीं। तब उन्हें लगा कि बच्चों के लिए बेहत्तर व सुगम भारतीय खिलौने और गेम्स नहीं हैं। ऐसे खिलौने जो बच्चों की सोचने की क्षमता प्रतिरोधकता बढ़ा सकें। इसलिए 11 वर्ष तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम करने के बाद उन्होंने कुछ और अलग करने का सोचा। उन्होंने पुराने बोर्ड गेम्स को ढूंढकर उन्हें फिर से स्टार्ट करने का निर्णय किया। इससे बच्चे अपनी संस्कृति से जुड़ सकेंगे और गेम्स का आनंद ले सकेंगे।

एक मीडिया कर्मी को तनुश्री बताती हैं कि बच्चे के जन्म के बाद उन्होंने भारतीय गेम्स पर अध्ययन करना आरंभ किया। उन्हें हैंडीक्राफ्ट और हाथ से बने गहने पसंद थे। इसलिए उन्होंने घर पर जो भी मिलता था, जैसे कपड़े, धागे, उनसे बोर्ड गेम्स बनाना आरंभ कर दिया।

ऐसे शुरू किया स्टार्टअप

इस जोड़े ने ‘रोल द डाइस’ नाम से अपना स्टार्टअप आरंभ किया। उन्होंने सबसे पहले पगाड़े (पचीसी) के लिए मैट बनाया, जोकि यह एक रणनीति वाला गेम है। इसमें खिलाड़ी मोहरों को क्रॉस के आकार के बोर्ड पर चलाते हैं। बता दें कि, इस गेम का जिक्र महाभारत में भी है। पुराने समय में इसे राजा-महाराजा भी खेलते थे।

तनुश्री और उनके पति शशिशेखर एस मंदिरों में जाते थे। वहां उन्हें भारतीय बोर्ड गेम्स के डिजाइन मिलते थे। वे उन गेम्स को अपने स्टार्टअप ‘रोल द डाइस’ के तहत लोगों के घरों तक पहुंचाते हैं। बरहाल् इस स्टार्टअप से शशिशेखर बाद में जुड़े।

तनुश्री आगे बताती हैं, ‘हम संस्कृति से जुड़े गेम्स को भी नया रूप दे रहे हैं। हम मकर संक्रांति पर पतंग कैसे बनाएं, इस पर कार्ड-आधारित गेम्स बनाते हैं। फिर गणेश जी पर आधारित एक गेम है, ‘रेस फॉर मोदक’। हमारे पास रामायण पर कल्चरल पजल्स भी हैं। इनसे एक माह में पूरी रामायण सीखी जा सकती है।

मां और दोस्तों ने की हेल्प

तनुश्री को लगा कि ऐसे गेम्स की मांग है जो प्रॉब्लम सॉल्व करने, सोचने की क्षमता बढ़ाने, टीम में काम करने और सहयोग करने में हेल्प करें। इसलिए उन्होंने 2016-17 में चौकाबारा (पांच घरों वाला रेस गेम) और पगाड़े के प्रोटोटाइप पर काम करना आरंभ किया। वे आगे बताती हैं, ‘मैंने उन्हें घर पर कपड़े, कटिंग और हाथ की कढ़ाई से बनाया। मेरी मां और दोस्त ने भी इसमें हेल्प की।

कितनी कमाई करते हैं तनुश्री और शशिशेखर?

मैसूर में तनुश्री और शशिशेखर का स्टार्टअप आज 17 तरह के हाथ से बने इको-फ्रेंडली बोर्ड गेम्स बिकते है। इनमें संस्कृति पर आधारित गेम्स और अनुभव वाले गेम सेट भी शामिल हैं। इससे उन्हें हर माह 2 लाख रुपये की कमाई होती है यानी सालाना 24 लाख रुपये।

दोनों ने साल 2019 में खुद ही वेबसाइट बनाई और दशहरा से गेम्स बेचना स्टार्ट किया। शशिशेखर बताते हैं, ‘पहले, हमने वेबसाइटों के माध्यम से बेचा। पहले छह महीनों में बिक्री धीमी थी, लेकिन बाद में बढ़ गई।’ अब वे Amazon के तहत भी ऑनलाइन बेचते हैं। ऑफलाइन, गेम्स मैसूर में उनके स्टोर के अतिरिक्त बेंगलुरु, पुणे और उडुपी के रिटेल आउटलेट्स पर सुविधा मुहैया हैं।

Web Stories

Share This Article
49999 में खरीदें इलेक्ट्रिक स्कूटर120 KM रेंज और 4 घंटे में फुल चार्ज, लाइसेंस फ्री और टैक्स फ्री पेट्रोल का झंझट खत्म, अब बिना पेट्रोल चलेगी Hero HF Deluxe Flex Fuel सबसे सस्ती बाइक हरियाणा के 81 लाख बिजली उपभोक्ताओं को झटका, 3 साल बाद महंगी हुई बिजली… जानें नए रेट शरीर में कैंसर का पहला लक्षण क्या होता है ? महिलाओं में थायराइड बढ़ने पर दिखते हैं ये 6 लक्षण