झारखंड की राजधानी रांची के करीब स्थित बोड़ेया गांव में एक ऐसा चमत्कारी मंदिर (madan mohan mandir) है, जिसके रहस्य ने लोगों की आस्था को और भी गहरा बना दिया है। यह मंदिर 12 खंभों पर स्थित है और इसे मदन मोहन मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहाँ का डस्टबिन कभी भरता नहीं है। चाहे इसमें कितना भी कचरा डालो, यह कभी ऊपर तक नहीं भरता। इसके बावजूद, मंदिर की सफाई हमेशा बनी रहती है।
madan mohan mandir : 359 साल पुराना है मंदिर, आज भी कायम है खूबसूरती
मुगलकाल ( Mughal period) में निर्मित इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1665 ईस्वी में हुआ था। 359 साल पुराने इस मंदिर की वास्तुकला उत्तर-मध्यकालीन शैली( Post-Medieval Style Architecture) की अद्भुत मिसाल है। मंदिर का गर्भगृह (sanctum sanctorum of the templ) और पूरा ढांचा ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित है। मंदिर की दीवारों पर नक्काशी की गई है, और इसकी छत पर बनी नक्काशी आज भी लोगों को आकर्षित करती है। इस मंदिर के 12 खंभे, जिन पर पूरा ढांचा टिका हुआ है, लगभग 12 फीट ऊंचे हैं। मंदिर का कुल क्षेत्रफल 1140 वर्गफीट है और इसके चबूतरे की ऊंचाई भी काफी अधिक है।
कूड़ा डालने वाला डस्टबिन, जो कभी नहीं भरता
इस मंदिर में एक ऐसा डस्टबिन है, जो इस मंदिर के रहस्यों में से एक है। यह डस्टबिन करीब तीन फीट गहरा है और सीमेंट से बना हुआ है। इस डस्टबिन में केवल मंदिर का कचरा जैसे फूल, पत्ते, मिठाई, और भगवान के वस्त्र आदि डाले जाते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस डस्टबिन में कितना भी कचरा डालो, यह कभी पूरा नहीं भरता। रातों-रात इस डस्टबिन का कचरा गायब हो जाता है। आज तक कोई नहीं जान पाया कि यह कचरा कहां जाता है।
सीसीटीवी और पहरे के बावजूद नहीं खुला रहस्य : Despite CCTV and security the secret was not revealed:
मंदिर में लगे सीसीटीवी कैमरे से भी इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश की गई, लेकिन कैमरे में ऐसा कुछ भी नहीं दिखा जिससे यह पता चल सके कि कचरा उठाकर बाहर फेंक दिया गया हो। इसके अलावा, कई लोगों ने रात में पहरा भी दिया, ताकि यह देखा जा सके कि कहीं कोई व्यक्ति तो नहीं है जो कचरा उठा रहा हो। लेकिन ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया। इस घटना ने मंदिर के प्रति लोगों की आस्था को और भी गहरा बना दिया है।
राधा-कृष्ण के प्रति आस्था का केंद्र : Center of faith in Radha-Krishna
मदन मोहन मंदिर में राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है। यहाँ के लोग मानते हैं कि जो भी भक्त यहाँ आकर भगवान के समक्ष मन्नत मांगता है, उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। मंदिर का वातावरण ऐसा है कि यदि कोई व्यक्ति झूठ बोलता है, तो भगवान के समक्ष जाते ही उसके हाथ-पैर कांपने लगते हैं। यही कारण है कि यह मंदिर झारखंड के सबसे प्रमुख आस्था केंद्रों में से एक है।
मंदिर में महिलाओं का गर्भगृह में प्रवेश वर्जित
मदन मोहन मंदिर की एक और विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। इस नियम का पालन सदियों से हो रहा है। हालांकि, एक विशेष अवसर पर महिलाओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। जब किसी परिवार में कन्या का विवाह होता है, तो विदाई से पहले नवदंपती गर्भगृह में प्रवेश कर भगवान का पूजन करते हैं, जिसमें कन्या राधा रानी को सिंदूर अर्पित करती है।
71 वर्ष पहले हुई थी भगवान की मूर्ति की चोरी
मंदिर की एक और दिलचस्प घटना यह है कि 5 सितंबर 1953 को भगवान श्रीकृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई थी। इसके बाद, मंदिर में पीतल की मूर्ति स्थापित की गई। इसके कुछ समय बाद, राधा रानी की अष्टधातु की मूर्ति भी चोरी हो गई। इसके बाद भी मंदिर में पीतल की मूर्तियों को ही स्थापित किया गया, जो आज भी मंदिर में मौजूद हैं।
मंदिर की छत पर बना पनसोखा: एक और रहस्य
Water fountain built on the roof of the temple: मदन मोहन मंदिर की छत और शिखर पर पनसोखा बनाया गया है, जो बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए उपयोग होता है। लेकिन यहां भी एक और रहस्य है – इस पनसोखा को आज तक किसी ने भी मूसलाधार बारिश में भरा हुआ नहीं देखा है। लोग इसे भी एक चमत्कार मानते हैं और मंदिर के प्रति उनकी श्रद्धा और भी बढ़ जाती है।
झारखंड के अन्य जिलों से भी आते हैं भक्त
मदन मोहन मंदिर सिर्फ रांची के निवासियों के लिए ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों के लोगों के लिए भी आस्था का प्रमुख केंद्र है। हर साल जन्माष्टमी पर यहाँ विशेष पूजा-अर्चना होती है, जो वृंदावन की तर्ज पर मनाई जाती है। इस अवसर पर पूरे गांव के लोग मिलजुल कर त्योहार मनाते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में डूब जाते हैं।
झारखंड के रांची स्थित मदन मोहन मंदिर न केवल अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके रहस्यमयी डस्टबिन और अन्य चमत्कारों के कारण भी लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर सदियों से अपनी विशेषताओं के कारण लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता आया है। मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं का प्रवेश वर्जित होना, पनसोखा का कभी न भरना, और डस्टबिन का कभी न भरना – ये सभी बातें इसे और भी रहस्यमय बनाती हैं। मंदिर की आस्था और इसके पीछे छिपे चमत्कारों का रहस्य शायद कभी सुलझ न सके, लेकिन यह निश्चित है कि यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आस्था का प्रमुख केंद्र बना रहेगा।