HBSE Fine : हरियाणा शिक्षा बोर्ड को अपनी असंवेदनशील कार्यप्रणाली की वजह से एक लाख रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ेगा। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बोर्ड पर यह जुर्माना लगाते हुए सख्त टिप्पणी की है। मामला 2019 में आयोजित हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (H.TET) से जुड़ा है, जहां बायोमीट्रिक उपस्थिति न दर्ज होने के कारण एक आवेदक का परिणाम रद्द कर दिया गया था।
HBSE Fine : मामला क्या है ?
याची ने 2019 में हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए आवेदन किया था। परीक्षा के दिन आवेदक को फंगल एलर्जी थी, जिसके चलते उसकी बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज नहीं हो सकी। इस स्थिति को देखते हुए परीक्षा केंद्र के नियंत्रक ने मैनुअल उपस्थिति दर्ज कर परीक्षा देने की अनुमति दी थी। लेकिन जब परिणाम घोषित हुआ, तो आवेदक को बताया गया कि उसका परिणाम रद्द कर दिया गया है क्योंकि बायोमीट्रिक उपस्थिति नहीं हो पाई थी।
High court faisla 2024 : हाईकोर्ट का फैसला
जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी की एकल पीठ ने इस मामले में हरियाणा शिक्षा बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि बोर्ड की कार्यप्रणाली पूरी तरह से असंवेदनशील और अनुचित थी। आदेश में कहा गया कि परीक्षा का परिणाम रद्द करने का कारण बायोमीट्रिक (biometric)मशीन का फेल होना था, जो बोर्ड की गलती है, न कि आवेदक की। बोर्ड ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया कि आवेदक के हाथों में एलर्जी थी। इसके बावजूद, परिणाम रद्द करना पूरी तरह से गलत और अप्रिय था।
Haryana high court guideline : कोर्ट का निर्देश
हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बोर्ड एक माह के भीतर आवेदक का परिणाम जारी करे और इसके साथ ही एक लाख रुपये का हर्जाना भी अदा करे। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि आवेदक के हाथों का प्रिंट मैनुअली लिया गया था और उच्च अधिकारियों से अनुमति मिलने के बाद ही उसे परीक्षा देने की इजाजत दी गई थी। बावजूद इसके, बोर्ड ने अपनी बायोमीट्रिक मशीन की विफलता का जिम्मा आवेदक पर डाल दिया।
करियर पर पड़ा गंभीर असर :
High court Chandigarh: न्यायालय ने कहा कि आवेदक का परिणाम रद्द होने के कारण उसका करियर गंभीर रूप से प्रभावित हुआ। वह अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी शामिल नहीं हो सका। इससे उसके करियर के महत्वपूर्ण पांच वर्ष खराब हो गए। हाईकोर्ट के इस फैसले ने शिक्षा बोर्ड की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
इस फैसले से साफ है कि तकनीकी समस्याओं के चलते किसी आवेदक का भविष्य नहीं बिगाड़ा जा सकता। हरियाणा शिक्षा बोर्ड की असंवेदनशीलता ने एक प्रतिभाशाली उम्मीदवार के करियर को नुकसान पहुंचाया, लेकिन अब हाईकोर्ट ने उसे न्याय दिलाया है। यह निर्णय अन्य परीक्षार्थियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।