Success Story Jind : प्राकृतिक खेती से सुमित्रा ने बनाई अलग पहचान, प्रोसेसिंग करके चावल, सरसों का तेल, मसाले पैकिंग कर बेच रही मार्केट में

Success Story Jind : जींद जिले के अहिरका गांव की महिला किसान सुमित्रा ने प्राकृतिक खेती से अपनी अलग पहचान बनाई है। वे अपने खेत में धान, सरसों, मूंग, हल्दी, धनिया, मेथी की खेती करती हैं। इन्हें सीधे मार्केट में बेचने की बजाय प्रोसेसिंग करने के बाद पैकिंग करती हैं। उसके बाद इन्हें बेचती हैं। जिससे भाव भी अच्छे मिलते हैं। वहीं सीजन के हिसाब से सब्जियां भी खेत में उगाती हैं। जहर मुक्त उनकी सब्जियों की काफी मांग रहती है और मार्केट से ज्यादा भाव पर आसानी से बिक जाती है।

 

 

आसपास के जो किसान प्राकृतिक खेती करते हैं, उनसे भी गुड़, खांड व अन्य उत्पाद खरीद कर प्रोसेसिंग के बाद उन्हें आगे बेचती हैं। करीब चार एकड़ से वे सालाना पांच लाख रुपये से ज्यादा कमा रही हैं। मसालों व अन्य उत्पादों की पैकिंग के लिए उन्होंने दो महिलाओं को लगाया हुआ है। वहीं खेत में कार्य के लिए भी चार से पांच लोगों को रोजगार दिया हुआ है। लघु उद्योग शुरू करने के लिए सुमित्रा ने एमएसएमई में भी पंजीकरण करवा लिया है। जिससे निंबू, करोंधा, हरी मिर्च का आचार, शहर, मसाले व अन्य उत्पाद तैयार करके बेचेंगी।

 

Sumitra created her own identity through natural farming, after processing she is packing and selling rice, mustard oil and spices in the market.
Sumitra created her own identity through natural farming, after processing she is packing and selling rice, mustard oil and spices in the market.

Success Story : सास के बीमार होने पर छोड़ा बुटीक का कार्य
सुमित्रा ने एमए हिंदी के बाद ड्रेस डिजाइनिंग का कोर्स करके बुटीक का कार्य शुरू किया था। लेकिन उनकी सास के गंभीर रूप से बीमार होने के बाद बुटीक कार्य छोड़ दिया और 12 साल तक बीमार सास की सेवा की। उस समय तक उनकी खेती में कोई रुचि नहीं थी। पति डा. सुभाष चंद्र कृषि विभाग में सेवारत हैं। वे ही खेत का भी कार्य संभालते थे। कोरोना काल में लोग उनके घर से सब्जियां लेने आते थे। उस दौरान उनकी खेती में रुचि हुई। अब वे अपने पति से भी पहले सुबह खेत में पहुंच जाती हैं।

 

Success Story : राज्यपाल ने किया सम्मानित
सोमवार को जींद में आयोजित कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती में सराहनीय कार्य करने पर सुमित्रा को सम्मानित किया। सुमित्रा बताती हैं कि बुटीक का कार्य उन्हें सास के बीमार होने की वजह से छोड़ना पड़ा। प्राकृतिक खेती से जुड़कर काम को आगे बढ़ाया। जिससे आमदनी भी बढ़ी और दूसरों को भी रोजगार मिला। ग्रामीण महिलाएं जमीन कम होने के बावजूद सब्जी, मसाले की खेती करके आमदनी बढ़ा सकती हैं।

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