Water Research: चंडीगढ़/गुरुग्राम/दिल्ली: IIT-दिल्ली और नासा के हाइड्रोलॉजिकल साइंसेज लैबोरेटरी के हालिया शोध ने हरियाणा और पंजाब के तेजी से घटते भूजल स्तर पर गंभीर सवाल उठाए हैं। 2003 से 2020 तक, इन राज्यों में करीब 64.6 बिलियन क्यूबिक मीटर भूजल का नुकसान हुआ है, जो लगभग 2.5 करोड़ ओलंपिक साइज के स्विमिंग पूल भरने जितना है। यह स्थिति क्षेत्र की खेती, उद्योग और आम जनजीवन पर खतरे की घंटी बजा रही है।
Water Research: शोध का निष्कर्ष
तेजी से बढ़ती आबादी और उद्योग प्रमुख कारण हरियाणा और पंजाब में जनसंख्या और औद्योगिक विकास के कारण पानी की मांग लगातार बढ़ रही है। इस शोध को भारत में भूजल की कमी का पता लगाना और सामाजिक-आर्थिक कारण नामक अध्ययन में प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, जल स्तर में कमी का सबसे बड़ा कारण अत्यधिक कृषि, औद्योगिक विस्तार और शहरीकरण है, जिनसे जल संसाधनों पर भारी दबाव पड़ा है। शोध में यह पाया गया कि इन दो दशकों में हरियाणा और पंजाब में उद्योगों की संख्या ढाई गुना बढ़ गई है, जिससे भूजल का अत्यधिक दोहन हुआ। 2001 में 10% थी, जो 2011 तक 20% हो गई, वहीं भूजल की मांग भी कई गुना बढ़ी है।
Water Research: गुरुग्राम के इलाकों में स्थिति सबसे गंभीर
हरियाणा के गुरुग्राम शहर में भूजल स्तर की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के अनुसार, यहाँ के उद्योग विहार, चक्करपुर और नाथूपुर जैसे इलाकों में बढ़ती औद्योगिक और घरेलू खपत ने जल संकट को और गंभीर बना दिया है। मॉल, आवासीय भवन और कारखानों के कारण पानी की खपत तेजी से बढ़ी है।
Water Research: जलापूर्ति की व्यवस्था का अभाव
हरियाणा के कई क्षेत्रों में पाइपलाइन के माध्यम से जलापूर्ति नहीं है, जिस कारण वहां के लोग पूरी तरह से भूजल पर निर्भर हैं। इस निर्भरता के कारण राज्य के जलस्रोतों पर भारी दबाव पड़ा है।
Water Research: भविष्य के लिए जरूरी जल संरक्षण की दिशा में कदम
जल संरक्षण अब अत्यंत आवश्यक हो गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, वर्षा जल संचयन, रिसाइक्लिंग और रीयूज जैसे उपाय अपनाने से इस संकट से कुछ हद तक निपटा जा सकता है। पानी के विवेकपूर्ण उपयोग के बिना आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संकट से बच पाना मुश्किल होगा।