COP29: जलवायु संकट और शरणार्थियों के संघर्ष की जटिलता एक गंभीर चुनौती बन गई है। UNHCR की नई रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन शरणार्थियों और विस्थापित समुदायों को असहनीय संकट में डाल रहा है। COP29 में जलवायु संकट के समाधान पर वैश्विक नेताओं की चर्चा के बीच यह रिपोर्ट उन लोगों के लिए चेतावनी है जो पहले से ही अपनी ज़िंदगी और सुरक्षा को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जुड़ी 4 महत्वपूर्ण बातें हैं:
1. रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर उन देशों में पड़ रहा है, जो इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। शरणार्थी और विस्थापित लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहां संसाधनों की कमी और पर्यावरणीय बदलावों से निपटने के लिए कोई सहयोग नहीं पहुंचता है।
2. जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, संघर्ष और अस्थिरता जैसे मुद्दों को बढ़ावा देता है, जिससे लोगों का विस्थापन और भी बढ़ जाता है। ऐसे लोग जो पहले ही जलवायु और संघर्ष की वजह से विस्थापित हो चुके हैं, उन्हें तुरंत सुरक्षा और मदद की जरूरत है।
3. जलवायु परिवर्तन विस्थापित समुदायों की सुरक्षा को और भी कमजोर कर देता है, जैसे असुरक्षित आवास और महिलाओं व बच्चों के लिए हिंसा के बढ़ते खतरे के रूप में। इस संकट को एक सर्पिल रूप में देखा जा सकता है, जो पहले से ही कमजोर स्थिति में रहने वाले लोगों के लिए और भी बड़े खतरे पैदा करता है।
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4. विस्थापित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जलवायु नीतियों में उन्हें शामिल करना होगा। इसके अलावा, उनके लिए अनुकूलन उपायों में निवेश करना और उत्सर्जन में कमी लाने के प्रयासों को तेज करना बेहद जरूरी है। यदि हम जलवायु संकट से प्रभावित लोगों की मदद नहीं करते हैं, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
UNHCR की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु संकट और विस्थापन की जटिलताओं को समझना और समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाना अब पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। COP29 में उठाए जाने वाले कदमों पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं।