Sonipat news: सोनीपत जिले के गन्नौर में पुलिस और बिजली निगम कर्मचारियों के बीच एक दिलचस्प विवाद सामने आया। दरअसल, पुलिस ने एक बिजली कर्मचारी का बिना हेलमेट के बाइक चलाने पर चालान काट दिया। हालांकि, इस कर्मचारी ने सरकारी कर्मचारी होने का हवाला देते हुए चालान काटने पर विरोध किया।
इसके बाद गुस्साए बिजली कर्मी ने गन्नौर जीटी रोड पुलिस चौकी पर छापा मारकर चौकी का बिजली कनेक्शन काट दिया। इस घटनाक्रम के दौरान पुलिस और बिजली कर्मचारियों के बीच बहस भी हुई।
करीब एक घंटे तक चली बहस के बाद, SI ने दोनों पक्षों के बीच सुलह कराई। अंत में फैसला लिया गया कि पुलिस अपना चालान वापस लेगी और बिजली कर्मचारी कनेक्शन फिर से जोड़ेंगे। विवाद की शुरुआत तब हुई जब गन्नौर जीटी रोड पर बने पुलिस चौकी के कर्मचारियों ने एक बिजली कर्मचारी का चालान काटा, क्योंकि वह बाइक चलाते वक्त हेलमेट नहीं पहने हुए थे।
बिजली कर्मचारी ने पुलिस को बताया कि वह लोकल फॉल्ट ठीक करके आ रहे थे और इसलिए हेलमेट नहीं पहना था, लेकिन पुलिस ने नियमों के तहत चालान काट दिया। इसके बाद इस मुद्दे को बिजली निगम के अधिकारियों तक पहुंचाया गया और कुछ ही देर में निगम के कर्मचारी पुलिस चौकी पहुंच गए।
बिजली चोरी पर उठे सवाल?
बिजली कर्मचारियों ने पुलिस चौकी की छत पर जाकर लाइन चेक की और पाया कि वहां बिजली चोरी हो रही थी। इसके बाद बिजली निगम के कर्मचारियों ने पुलिस चौकी का कनेक्शन काट दिया। इस पर पुलिस चौकी प्रभारी ने बिजली कर्मियों से बातचीत की, लेकिन निगम के कर्मचारियों ने कनेक्शन काटते हुए कहा कि बिजली चोरी को लेकर हम भी ध्यान रखेंगे।
पुलिस और बिजली निगम के कर्मचारियों के बीच बहस
पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस के कर्मचारियों को रोजाना 15 चालान काटने का टारगेट मिला है और चालान के दौरान हेलमेट पहनने की सख्त हिदायत दी जाती है। वहीं, बिजली निगम के कर्मचारियों ने कहा कि वे लोकल फॉल्ट ठीक करने के दौरान हेलमेट नहीं लगा सकते और पुलिस चौकियों और थानों में भी बिजली चोरी से एसी चलाए जाते हैं, जिसे वे भी ध्यान में रखेंगे।
गन्नौर में पुलिस और बिजली विभाग के बीच हुए इस विवाद ने दोनों विभागों के बीच समन्वय और संवाद की कमी को उजागर किया। जबकि पुलिस का काम यातायात नियमों का पालन कराना है, बिजली कर्मचारी का हेलमेट न पहनने का कारण काम से जुड़ा था, जिसे समझने की कोशिश की जानी चाहिए थी।
पुलिस चौकी में बिजली काटने जैसी प्रतिक्रियाएं स्थिति को अनावश्यक रूप से बढ़ा देती हैं। ऐसे घटनाओं में समय की बर्बादी और दोनों विभागों के बीच तनाव पैदा होता है। एक पेशेवर और सहयोगात्मक दृष्टिकोण से यह विवाद शांति से सुलझाया जा सकता था।